नक्सल प्रभावित इलाकों में नई रणनीतियों के साथ सीआरपीएफ चलाएगा उग्रवाद रोधी अभियान
नई दिल्ली (भाषा)। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले की नक्सली घटना में सीआरपीएफ के 37 जवानों के मारे जाने के बाद बल ने सर्वाधिक नक्सल प्रभावित दक्षिण बस्तर क्षेत्र में उग्रवाद रोधी अभियानों की संख्या बढ़ाने का फैसला किया है। सीआरपीएफ के कार्यवाहक महानिदेशक (डीजी) सुदीप लखटकिया ने कहा कि घात लगा कर किए गए हमले ने इन इलाकों में मानक संचालन कार्यप्रणाली (एसओपी) की समीक्षा की जरुरत पैदा की है। उन्होंने कहा कि बल नये उपायों से यहां सड़क निर्माण कार्य की सुरक्षा करना जारी रखेगा, जो मध्य भारत के इन दूर दराज के इलाकों में विकास करने में मदद करता है।
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डीजी ने सुकमा के बुर्कापाल में घटना स्थल का दौरा करने के बाद बताया कि ‘‘हमने रणनीति में बदलाव करने का फैसला किया है। हमने कुछ सबक सीखा है। मैं ब्योरा तो नहीं दे सकता, लेकिन मैं आपसे कह सकता हूं कि हम अपने बलों को नये सिरे से तैनाती करेंगे और उग्रवाद रोधी विशेष अभियानों की संख्या तथा गुणवत्ता बढ़ाएंगे। इसके तहत हम उनका पीछा करेंगे और पहले ही उलझा लेंगे।'' कार्यवाहक डीजी ने कहा कि मिशन को अंजाम देने के लिए आधे कर्मी सड़क निर्माण की सुरक्षा व इस तरह के अन्य कार्य करेंगे, जबकि अन्य आधे लोग उग्रवाद रोधी विशेष अभियान चलाएंगे।
हालिया घटना में 600- 750 मीटर की दूरी पर थे जवान
सीआरपीएफ की कुल 28 बटालियन छत्तीसगढ़ में तैनात हैं, जिनमें 10 बटालियन तो सिर्फ बस्तर क्षेत्र में ही तैनात है। बल की एक नियमित बटालियन में करीब 1,000 कर्मी होते हैं। उन्होंने कहा कि बल की नई कार्य योजना इलाके में जल्द ही प्रभावी होगी। हालांकि लखटकिया ने कहा कि ऐसे अभियान जिनमें जवानों को लंबे समय तक खुले में रहना होता है जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए रणनीतियां बनाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि हमला स्थल के एक प्रारंभिक विश्लेषण से संकेत मिलता है कि सीआरपीएफ के चार सेक्शन के लोग करीब 600- 750 मीटर की दूरी पर अलग - अलग थे जबकि चारों ओर से गोलियां चल रही थी। 24 अप्रैल को वहां हुए हमले में सीआरपीएफ के 25 कर्मी मारे गए थे।
उन्होंने आगे कहा कि नक्सली जवानों का पीछा करते हैं वे वक्त और जगह चुनने के बाद उन पर हमले करते हैं। साथ ही इस कार्य में वे स्थानीय ग्रामीणों का मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल करते हैं। जाहिर तौर पर बल के कर्मी उस वक्त दोपहर का भोजन कर रहे थे जब पहला हमला हुआ। जांच जारी है कुछ वक्त लगेगा। लखटकिया ने कहा कि जवानों के शव क्षत विक्षत किए जाने की पुष्टि अभी नहीं हो पाई है। वहीं, नक्सल रोधी अभियानों में शामिल वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि कुछ विशेष अभियान जल्द ही सुकमा, दंतेवाडा, कोंडागांव, बीजापुर और जगदलपुर सहित दक्षिण बस्तर क्षेत्र में शुरु किया जाएगा।
हेलीकॉप्टर से मदद मुहैया कराएंगे
जवानों को आसपास के क्षेत्रों में स्थित कम से कम चार हेलीकॉप्टरों और तीन मानव रहित विमानों (यूएवी) से हवाई मदद मुहैया करायी जाएगी। यूएवी राज्य के भिलाई स्थित अपने ठिकाने से बस्तर के जंगलों और ओडिशा, तेलंगाना तथा आंध्र प्रदेश से लगी राज्य की दक्षिणी सीमा की निगरानी करेंगे। गौरतलब है कि सुकमा जिले में 24 अप्रेल के हमले में सीआरपीएफ के 25 कर्मी मारे गए थे, जबकि इसी जिले में भेजी के पास 11 मार्च को हुए हमले में बल के 12 कर्मी मारे गए थे। इसके अलावा नक्सलियों ने भारी मात्रा में हथियार, गोला बारुद और संचार उपकरण भी लूट लिए थे।
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