ओडिशा में फोनी के बाद आंधी-तूफान से आठ लोगों की मौत, 5 घायल

ओडिशा में रविवार को तेज आंधी तूफान और बारिश के कारण लोगों की जान आफत में आ गई। राज्य के अलग-अलग हिस्सों में लोगों पर मौत बन कर बिजली गिरी और आठ लोगों की जान चली गई। एएनआई के अनुसार, ओडिशा के कोरापुट, केंदुझार, जाजपुर और गंजम में आठ लोगों की मौत हो गई और जबकि पांच लोग घायल हो गए।

Update: 2019-06-03 07:00 GMT

लखनऊ। ओडिशा में रविवार को तेज आंधी तूफान और बारिश के कारण लोगों की जान आफत में आ गई। राज्य के अलग-अलग हिस्सों में लोगों पर मौत बन कर बिजली गिरी और आठ लोगों की जान चली गई। एएनआई के अनुसार, ओडिशा के कोरापुट, केंदुझार, जाजपुर और गंजम में आठ लोगों की मौत हो गई और जबकि पांच लोग घायल हो गए। घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी हालत स्‍थ‍िर है।

फोनी ने बरपाया था कहर

ओडिशा में आए फोनी तूफान से लगभग एक लाख करोड़ रूपए का नुकसान हुआ है। गांव कनेक्शन से खास बातचीत में ओडिशा के विशेष राहत आयुक्त विष्णुपद सेठी ने यह बात कही थी। उन्होंने बताया था कि इस तूफान से सरकारी और निजी संपत्तियों के अलावा कृषि एवं पशुपालन उद्योग, मछली उद्योग, वन उद्योग और बागवानी उद्योग को व्यापक नुकसान पहुंचा है। यह नुकसान ओडिशा सरकार के कुल वार्षिक बजट का 75 प्रतिशत है।

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ओडिशा सरकार ने इस साल 1,32,660 करोड़ रूपए का बजट पेश किया था, जबकि इस तूफान की वजह से ही एक लाख करोड़ का नुकसान बताया जा रहा है। ओडिशा के दौरे पर गई तीन सदस्यीय केंद्रीय दल को ओडिशा सरकार ने प्राथमिक आंंकलन रिपोर्ट सौंपा थी। इस आंंकलन रिपोर्ट में कुल 11942.68 करोड़ रूपए के नुकसान का अनुमान लगाया गया है। लेकिन वास्तविक नुकसान, राज्य सरकार के अनुमानित नुकसान से लगभग आठ गुना अधिक है। राज्य सरकार के रिपोर्ट में भी कहा गया है, "यह महज एक तात्कालिक अनुमानित रिपोर्ट है। जो नुकसान राशि बताई गई है वह पूर्ण रिपोर्ट में बढ़ सकती है।"


रोजी-रोटी हुई प्रभावित

फोनी से रोजगार के संसाधनों को काफी नुकसान पहुंचा है और इससे आम लोगों की आजिविका (रोजी-रोटी) प्रभावित हुई है। चिल्का झील के एक निकटवर्ती गांव बरहामपुर में लगभग 1500 मछुआरों का परिवार रहता है। एक मछुआरे ने गांव कनेक्शन को बताया था कि "एक नाव को बनाने में 60 हजार से एक लाख 20 हजार रूपए की लागत आती है। गांव के जितने भी मछुआरे हैं सबके नावों को नुकसान पहुंचा है। 800 नाव तो पूरी तरह से खराब हो गए हैं। जबकि हमारे नेट्स (जाल) को भी नुकसान पहुंचा है। इससे आप नुकसान का अनुमान लगा सकते हैं। इसके अलावा मछली पालन के लिए हमारे द्वारा बनाए गए कृत्रिम तालाब भी तूफान की वजह से नष्ट हो गए हैं। हमें इससे उबरने में दो से तीन साल लग जाएंगे।"


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