पंजाब में पराली से बन रही बिजली, अब खेत में नहीं जलाए जाएंगे फसल अवशेष

Update: 2017-09-24 18:45 GMT
अब खेतों में नहीं जलेगी पराली।

नई दिल्ली(भाषा)। पंजाब, दिल्ली व हरियाणा जैसे राज्यों में पिछले कुछ वर्षों में किसान फसल अवशेष जला रहे हैं, जिससे पिछली सर्दी में दिल्ली-एनसीआर में जहरीले धुएं की धुंध छा गई थी, लेकिन इस बार इससे राहत मिलने वाली है। पंजाब में बायोमास संयंत्र के जरिए पराली से बड़े पैमाने पर बिजली बनायी जा रही है।

पर्यावरण प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) के अध्यक्ष भूरे लाल बताते हैं, "पराली जलाने की बजाए इससे बिजली पैदा करने से खेतों में फसलों के मित्र कीटों का बचाव भी हो रहा है और जमीन की उर्वरा शक्ति भी बरकरार है।"

ये भी पढ़ें : किसानों को नहीं पता फसल अवशेष जलाने का नुकसान

उन्होंने कहा कि हरियाणा में भी पराली से बिजली पैदा करने की दिशा में प्रयास जारी हैं। बिजली बनाने के लिए करीब 420 डिग्री सेंटीग्रेड ताप पर पराली को जलाया जाता है, इससे पैदा होने वाली भाप से बिजली पैदा होती है, एक किलोग्राम पराली से तीन किलोग्राम भाप तैयार होती है। 10 किलोग्राम भाप से एक किलोवाट बिजली पैदा होती है। पंजाब में दो करोड़ टन जबकि हरियाणा में 1.5 करोड टन पराली पैदा होती है।

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की रोकथाम के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित ईपीसीए के प्रमुख भूरे लाल ने पीटीआई-भाषा से खास बातचीत में कहा, "पंजाब में अभी लगभग छह संयंत्रों के जरिए पराली से 62.5 मेगावॉट बिजली पैदा की जा रही है, इन संयंत्रों की संख्या बढ़ाई जा रही है और उनका लक्ष्य पराली से 600 मेगावॉट बिजली पैदा करना है। पराली से बिजली बनाने के कारण किसानों द्वारा इन्हें खेतों में जलाने के मामलों में कमी आई है।

येे भी पढ़ेंं : फसल के अवशेष जलाना वायु प्रदूषण का प्रमुख स्रोत : दिल्ली सरकार

पूर्व आईएएस अधिकारी लाल ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनटीपीसी भी पराली से बिजली बनाने के मामले में दिलचस्पी ले रही है और कुछ निजी कंपनियां भी इस क्षेत्र में हाथ आजमाने के लिए तैयार हैं। खेतों में खाद के तौर पर भी पराली का इस्तेमाल किया जा रहा है। रोटावेटर मशीन के जरिए पराली को खाद में तब्दील किया जा रहा है।

दिल्ली एनसीआर में दीवाली के समय छा गई थी धुंध

पिछले साल दीपावली के बाद करीब 10-12 दिनों तक स्मॉग ने पूरी दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों को अपनी चपेट में ले लिया था। स्मॉग के कारण लोगों ने सांस लेने में तकलीफ, बेचैनी, आंखों में जलन, दमा और एलर्जी की शिकायत की थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों को आपातकालीन उपाय करने के निर्देश दिए थे। दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने और दीपावली में बडे पैमाने पर आतिशबाजी को इस जहरीले स्मॉग का प्रमुख कारण बताया गया था।

पराली जलाने की बजाए इससे बिजली पैदा करने से खेतों में फसलों के मित्र कीटों का बचाव भी हो रहा है और जमीन की उर्वरा शक्ति भी बरकरार है।
भूरे लाल, अध्यक्ष, पर्यावरण प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए)

दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता की निगरानी के लिए दिल्ली में लगभग 20 स्टेशन आगामी 20 अक्तूबर तक पूरी तरह सक्रिय कर दिए जाएंगे। हरियाणा में लगभग 13 और एनसीआर के दायरे में आने वाले उत्तर प्रदेश के जिलों में भी 10 स्टेशन की स्थापना करने हैं।

ये भी पढ़ें : फसल अवशेष को जलाएं नहीं, उससे बनाएं जैविक खाद

दिल्ली-एनसीआर को स्मॉग से बचाने के लिए केंद्र द्वारा अधिसूचित ग्रेडेड रिस्पॉंस एक्शन प्लान (ग्रैप) को अमल में लाना है, जिसके तहत एनटीपीसी का बदरपुर थर्मल पावर स्टेशन (बीटीपीएस) 15 अक्तूबर से बंद कर दिया जाएगा। नगर निगमों को कचरा जलाने वालों पर कार्वाई के निर्देश दिए गए हैं। मकानों की निर्माण सामग्री और सड़कों की धूल से पैदा होने वाले प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए भी विभिन्न निर्देश जारी किए गए हैं।

Similar News