एक ऐसा गाँव जहां बच्चा-बच्चा संस्कृत में करता है बात

Update: 2018-09-10 07:03 GMT
कर्नाटक में शिवमोग्गा शहर के पास स्थित मत्तुर गाँव का बच्चा-बच्चा बोलता है संस्कृत

लखनऊ। देव वाणी बोली जानेवाली संस्कृत भाषा आज हिंदी और अंग्रेज़ी की भीड़ में कहीं पीछे छूट गई है। आपको शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति मिला हो जो आम बोलचाल में संस्कृत भाषा का इस्तेमाल करता हो, आज संस्कृत का अस्तित्व सिर्फ धार्मिक किताबों और ग्रंथों तक ही सीमित है। लेकिन कर्नाटक में एक ऐसा गाँव है जहां का बच्चा-बच्चा आज भी संस्कृत बोलता है। उस गाँव का नाम है मत्तुर जो शिवमोग्गा शहर के पास स्थित है।

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इस गाँव में कुल करीब 500 परिवार रहते हैं और यहां की जनसंख्या करीब 2800 है। इस गांव में संस्कृत प्राचीनकाल से ही बोली जाती है। 1981-82 तक इस गाँव में राज्य की कन्नड़ भाषा ही बोली जाती थी। कई लोग तमिल भी बोलते थे, क्योंकि पड़ोसी तमिलनाडु राज्य से बहुत सारे मज़दूर क़रीब 100 साल पहले यहाँ काम के सिलसिले में आकर बस गए थे। लेकिन 33 साल पहले पेजावर मठ के स्वामी ने इसे संस्कृत भाषी गाँव बनाने का आह्वान किया, जिसके बाद गाँव के लोग संस्कृत में ही बातचीत करने लगे। इस गाँव में 10 साल का पूरा हो जाने पर बच्चों को वेदों का शिक्षण दिया जाता है।

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यह कहना सही होगा कि पौराणिक भारत को या कम से कम पौराणिक भारत कि कुछ चीज़ों को इस जगह ने बहुत ही महफूज़ तरीके से संजोए रखा है। मत्तुर गाँव पाठशाला के छात्र साल दर साल अच्छे नंबर प्राप्त कर शिक्षण क्षेत्र में इस गाँव का पद कर्नाटक के बाकी गाँवों से ऊंचा बनाए रखने में कामयाब रहे हैं।

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