दिल्ली: किसानों को मजबूरी में कम दाम में बेचना पड़ रहा है धान, नहीं मिल रही है एमएसपी

दिल्ली की नरेला मंडी में दिल्ली ही नहीं हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान तक से किसान आते हैं, लेकिन उन्हें कम रेट में धान बेचना पड़ रहा है।

Update: 2020-10-14 10:17 GMT
दिल्ली की नरेला मंडी। फोटो: अमित पांडेय

नरेला मंडी ( दिल्ली)। केंद्र सरकार दावा कर रही है 10 अक्टूबर तक पूरे देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष 35 फीसदी ज्यादा धान खरीद हुई है। लेकिन दिल्ली में ही किसान एमएसपी से कम रेट पर धान बेचने पर मजबूर हैं। दिल्ली की नरेला मंडी में सामान्य धान 1650-1700 तो बासमती धान 2200-2300 रुपए कुंतल बिक रहा है। 

अलीगढ़ के किसान मनोज कुमार शर्मा 175 कुंतल धान लेकर दिल्ली की नरेला मंडी में इस उम्मीद में लेकर आए कि शायद यहां पर अच्छा रेट मिल जाए, लेकिन उन्हें अपना धान 1665 रुपए प्रति कुंतल बेचना पड़ा।

मनोज कुमार शर्मा की तरह ही उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली के किसान दिल्ली की नरेला मंडी में धान बेचने आ रहे हैं, लेकिन उन्हें सस्ते दाम पर धान बेचना पड़ रहा है। नरेला मंडी दिल्ली के उत्तर पश्चिमी भाग में स्थित है। दिल्ली का ये इलाक़ा, हरियाणा के करीब होने के कारण, यहां ज्यादातर हरियाणा के किसान अपनी फसल बेचने आते हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश , राजस्थान और स्वाभाविक तौर पर दिल्ली का किसान फसल बेचने आते हैं। यहां किसानों से बात करने पर पता चला की फसल का यहां कोई तय दाम नहीं है। कोई अपनी फसल का दाम 1830 रुपए प्रति कुंतल बताता है तो कोई 1725 रुपए या 1665 रुपए बताता है। दिल्ली में न्यूनतम समर्थन मूल्य न होने के कारण, यहां किसान अपनी फसल आढ़तियों को बेचने को मजबूर हैं।

नई अनाज मंडी नरेला, दिल्ली। फोटो: अमित पांडेय

पिछले हफ्ते भारतीय किसान यूनियन के दिल्ली प्रमुख वीरेंदर डागर ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का ध्यान मंडियों में फसल के अनियमित दामों की तरफ खींचा। पत्र में डागर ने दिल्ली की नजफगढ़ और नरेला मंडी में न्यूनतम समर्थन मूल्य की बात भी रखी जो वर्ष 2015 से बदहाल है। गाँव कनेक्शन ने इस संदर्भ में नरेला मंडी में आये किसानों से बात की और जानने का प्रयास किया की उनकी क्या समस्या हैं?

दिल्ली के होलम्बी के किसान आदेश त्यागी ने अपना धान 1810 रुपए प्रति कुंतल बेचा। आदेश कहते हैं, "मैंने सौ रुपए कम पर अपनी फसल बेची है। इस बार डीज़ल, खाद और मजदूरी कोरोना के कारण ज़्यादा थे।" आदेश सरकार से नियमित दामों की मांग करते हुए कहते हैं की अगर सरकार दाम तय कर देती तो वो अच्छी गुणवत्ता की फसल उगाते।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने सोमवार, 12 अक्टूबर को जंतर-मंतर में किसानों के विरोध को सम्बोधित करते हुए केंद्र सरकार को एमएसपी के मुद्दे पर घेरा, जबकि उन्हीं के प्रदेश में किसानों को एमएसपी से कम रेट पर धान बेचना पड़ रहा है।

मथुरा के किसान अजय सिंह प्रधान भी अपनी फसल के दाम से खुश नहीं दिखे। 1830 के दाम पर फसल बेचने के बाद भी मुनाफ़े की फ़िक्र है, अजय बताते हैं कि माल दिल्ली में लाने से मुनाफ़ा काम हो गया है, तक़रीबन 80 रुपए प्रति कुंतल के दाम पर मथुरा से दिल्ली लाने के कारण बड़ा अंतर पड़ा।

बुराड़ी के सुबोध त्यागी, मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को कोसते हुए कहते हैं कि सरकार ने उस समय डीज़ल के दाम कम किये जब किसान को जरूरत नहीं थी, लेकिन जरूरत के समय दाम फिर बड़ा दिए। सुबोध कहते हैं, "मंडी में एक भी फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं बिकती ऐसे में आढ़तियों की मनमानी चलती है। इसके अलावा खाद, बीज और मजदूर के बढ़े हुए दाम ने और भी मुसीबत बड़ा दी है। इन दामों में सिर्फ बच्चों की फ़ीस और घर का खर्चा ही निकल पायेगा। पांच वर्ष पहले इस मंडी में ये फसल (पीबी-1509 बासमती) 4000 रुपए प्रति कुंतल में बेची थी।"

दिल्ली की नरेला मंडी। फोटो: अमित पांडेय

कृषि बिलों को लेकर सबसे ज्यादा हंगामा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं-धान और दूसरी फसलों की खरीद को लेकर था, जिस पर केंद्र सरकार लगातार कहती रही कि किसान से अनाज की एमएसपी पर खरीद धड़ल्ले से जारी रहेगी और इस बार भी खरीफ के लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं, किसानों को ज्यादा से ज्यादा एमएसपी का लाभ मिलेगा। लेकिन सितंबर से लेकर अक्टूबर के पहले हफ्ते (7 अक्टूबर तक) गांव कनेक्शन को यूपी समेत दूसरे राज्यों के जिलों से जो ग्राउंड रिपोर्ट मिली है वो सरकारी खरीद पर सवाल खड़े करती है। यही हाल बाकी राज्यों का भी है। हरियाणा की मंडियों में किसान की भीड़ लगी पड़ी है। किसान कई-कई दिन से अपना माल उतार कर वहीं बैठे हैं।

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