एक जून से 10 जून तक शहरों में होगी सब्जी और दूध की किल्लत, किसान ठप करेंगे सप्लाई

Update: 2018-04-30 18:24 GMT
पिछले वर्ष जब किसानों ने दूध और सब्जियों की सप्लाई रोक उन्हें सड़क पर फेक दिया था। फोटो-DNA

नई दिल्ली। दिल्ली, भोपाल, चंड़ीगढ़, इंदौर, मुंबई समेत कई शहरों में 1 जून से सब्जी और दूध की किल्लत हो सकती है, क्योंकि किसान संगठनों ने सब्जियों और अनाज समेत कई उत्पादों को शहरों को न भेजने का निर्णय लिया है। किसान संगठनों ने मिलकर इसका ऐलान किया है। एक जून से लेकर 10 जून तक ये आंदोलन चलेगा।

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राष्ट्रीय किसान महासंघ ने सोमवार को दिल्ली में कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की किसान विरोधी नीतियों के विरोध में किसान एक जून से 10 जून तक छुट्टी पर रहेंगे, अपने उत्पादन शहरों को नहीं भजेंगे। इस महासंघ में भारतीय किसान यूनियन, किसान मजदूर संघ, आम किसान यूनियन, किसान संघ समेत 110 किसान संगठन शामिल हैं। किसान संगठनों को पूर्व भाजपा नेता यशवंत सिन्हा का भी साथ मिला है। किसान मजदूर संघ

चरखी दादरी में टमाटर के माटी मोल होने के बाद किसानों ने गायों को खिलाया। फोटो-साभार रमनदीप मान

यशवंत सिन्हा ने दिल्ली में समाचार एजेंसी भाषा से कहा, “सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य ( एमएसपी ) का वादा किया था जो कि उत्पादन लागत से 50 प्रतिशत अधिक था लेकिन किसानों को अभी तक उच्च कीमतें नहीं मिलीं। ”

यशवंत सिन्हा ने दिल्ली में समाचार एजेंसी भाषा से कहा, “सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य ( एमएसपी ) का वादा किया था जो कि उत्पादन लागत से 50 प्रतिशत अधिक था लेकिन किसानों को अभी तक उच्च कीमतें नहीं मिलीं। ”

किसान संगठनों ने अपनी बातें मंगवाने के लिए इस बार किसानों के बीच पहुंच बनाने के साथ ही सोशल मीडिया का सहारा लिया है। 21 अप्रैल को किसान संगठनों ने मिलकर ट्वीटर पर #गांवबंद ट्रेंड करवाकर सरकार पर दबाव बनाया था तो 5 मई के #VillageShutDown नाम से अभी से मुहिम शुरु की है। आम किसान यूनियन के जुड़े केदार सिरोही कहते हैं, ये किसानों की बड़ी जीत है, किसान अब खेत से निकलकर सोशल मीडिया पर आ रहा है, उसकी आवाज अब बढ़ती जाएगी। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, यूपी, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली और हरियाणा समेत 15-16 राज्यों के किसान हमारे साथ हैं।’

मध्य प्रदेश में भारतीय किसान संघ से जुड़े किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा, “हम मांग कर रहे हैं कि एमएसपी जमीन की लागत सहित उत्पादन की पूरी लागत का 1.5 गुना हो। हालांकि सरकार ने इसे अपने आखिरी बजट में घोषित कर दिया था , लेकिन इसमें कोई विशेष विवरण नहीं है और इससे हमें मदद नहीं मिल रही है।”

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पिछले महीने महाराष्ट्र में वाम दलों के नेतृत्व वाले एक लम्बे मार्च के लिए किसानों को बधाई देते हुए सिन्हा ने ‘झूठे वादे’ करने के लिए सरकार की आलोचना की। सिन्हा ने कहा, “मैं यह कह सकता हूं कि मोदी सरकार ने उनके ( किसानों ) लिए कुछ भी नहीं किया। यहां तक कि उन वादों को भी पूरा नहीं किया गया जो भाजपा के घोषणा पत्र में लिखे हुए थे।” किसानों ने व्यापारिक संगठनों से भी उनके 10 जून के भारत बंद का समर्थन करने का आग्रह किया। आम किसान यूनियन और शिवकुमार कक्का जैसे लोगों ने पिछले वर्ष मध्य प्रदेश में हड़ताल कर शिवराज सिंह चौहान की नाक में दम कर दिया था।

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