मोदी कैबिनेट का बड़ा फैसला, दो करोड़ परिवारों को मिलेगा फ्री गैस कनेक्शन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में पेट्रोलियम मंत्रालय के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले सभी गरीब परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन देने का ऐलान किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में पेट्रोलियम मंत्रालय के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई। इसके तहत केंद्र सरकार सभी गरीबों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन देगी। सरकार प्रधानमंत्री उज्जवला योजना की विभिन्न श्रेणियों के तहत अब तक करीब पांच करोड़ 86 लाख कनेक्शन दे चुकी है।
अभी तक घोषित सिर्फ सात श्रेणियों के गरीब परिवारों को ही उज्ज्वला योजना के तहत शामिल किया जा रहा था। लेकिन अब हर गरीब परिवार को इसमें शामिल करने का निर्णय लिया गया है। इससे लगभग एक करोड़ परिवारों का फायदा होगा।
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प्रधानमंत्री श्री @narendramodi द्वारा उज्ज्वला योजना का विस्तार कर सभी ग़रीब परिवारों को एलपीजी कनेक्शन मुहैया कराने के निर्णय से गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों की महिलाओं एवं ऐसे परिवार जिन्हें अब तक एलपीजी कनेक्शन नहीं मिल पाया है,अब एलपीजी का लाभ उठा पाएँगे #सबकासाथ_सबकाविकास pic.twitter.com/N8XEP9tSAI
— Petroleum Ministry (@PetroleumMin) December 18, 2018
पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कैबिनेट के फैसलों के बारे में बताया कि मौजूदा नियमों के मुताबिक, एससी व एसटी, पीएमयूवाइ (ग्र्रामीण), अंत्योदय, अति पिछड़ा वर्ग, वनवासी, चाय बागानों में काम करने वाले मजदूर, द्वीप में रहने वाले लोगों को उज्ज्वला के तहत एलपीजी सिलेंडर मिलता था, लेकिन अब यह महसूस किया गया कि साफ व स्वच्छ ईंधन का अधिकार हर गृहणी को मिलनी चाहिए।
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4 साल में 12 करोड़ कनेक्शन
गरीबी की परिभाषा को विस्तार देने से अब इसका फायदा हर कोई उठा सकेगा। उन्होंने बताया कि भारत में एलपीजी का कनेक्शन देने की शुरुआत 1955 से हुई थी। तब से वर्ष 2014 तक 13 करोड़ घरों को एलपीजी कनेक्शन दिया गया था लेकिन उसके बाद के साढ़े चार वर्षों में 12 करोड़ नए कनेक्शन दिए गए हैं। अभी देश में दो करोड़ घरों को और कनेक्शन दिया जाना है।
ध्यान रहे कि उज्ज्वला योजना को भाजपा राजनीतिक रूप से भी प्रभावी योजना मानती है। उत्तर प्रदेश में इसका खास असर दिखा था। ऐसे में लोकसभा चुनाव से महज चार पांच महीने दूर इस फैसले को राजनीति से जोड़कर भी देखा जा रहा है।