हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का निर्देश, बिना पुआल प्रबंधन प्रणाली के प्रदेश में नहीं होगी धान की कटाई

पुआल को जलाना अवैध काम है। कटाई के बाद खुले मैदानों में धान की भूसे जलाना राज्य और आसपास दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का मुख्य कारण है

Update: 2018-08-17 09:29 GMT
साभार इंटरनेट

चंडीगढ़। हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) ने प्रदेश में फसल कटाई के बाद बची पुआल को जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए किसानों को निर्देश दिया है कि वे धान की कटाई की मशीन "कम्बाइन हार्वेस्टर" को सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सस्टिम (एसएसएमएस) से जोड़े।

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एचएसपीसीबी के एक प्रवक्ता ने कहा कि कोई भी फसल कटाई मशीन को बिना किसी एसएसएमएस से जोड़े बिना धान फसल कटाई की अनुमति नहीं दी जाएगी। एसएसएमएस धान के तने (पुआल) को छोटे टुकड़ों में काट देता है, जिससे किसानों को फसल अवशेष जलाने की आवश्यकता खत्म हो जाती है। पुआल को जलाना अवैध काम है। कटाई के बाद खुले मैदानों में धान की भूसे जलाना राज्य और आसपास दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का मुख्य कारण है। प्रवक्ता ने बताया कि इस तरह के कामकाज से मिट्टी और पर्यावरण को क्षति पहुंचती है। उन्होंने कहा कि हरियाणा पर्यावरण विभाग ने धान के बचे तनों, भूसे और गेहूं के ठूंठ को अंधाधुंध जलाने पर रोक लगाने वाली 16 सितंबर, 2003 को पहली अधिसूचना जारी की थी।

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