GST : एक जुलाई से बड़ी दुकान पर 50 रुपए वाली आलू की टिक्की 59 की मिलेगी
एक जुलाई को किसी बड़ी दुकान (टैक्स वाली) से 50 रुपए वाली आलू की टिक्की खरीदते हैं तो वह 59 की मिलेगी। नौ रुपए की ये महंगाई जीएसटी के चलते होगी। आपकी जेब से नौ रुपए ज्यादा जरूर जाएंगे, लेकिन इससे आलू उगाने वाले किसानों को कोई फायदा नहीं होगा।
लखनऊ। आज से 22 दिन बाद एक जुलाई को देशभर में एक कर प्रणाली गुड्स एंड सर्विस टैक्स यानि जीएसटी लागू होगा। केंद्र सरकार का दावा है इससे देश के विकास को रफ्तार मिलेगी और विकास दर नौ फीसदी पहुंच सकेगी, लेकिन इसका एक अदृश्य असर किसानों पर पड़ने की उम्मीद है।
एक जुलाई से लागू हो रहे जीएसटी के तहत गेहूं, चावल, आटा, मैदा, गुड़, दूध, खुला पनीर, ताजे फल-सब्जियां, नमक, खेती में इस्तेमाल होने वाले कुछ औजार, बीज, बिना ब्रांड के ऑर्गेनिक खाद आदि कर पहले की तरह शून्य हैं। इनमें से बीज और औजार को छोड़कर ज्यादातर चीजें किसान खुद उगाता है यानि बाजार से नहीं खरीदता लेकिन ब्रांडेड बेड, ब्रांडेड आटा, चीनी, चाय, कॉफी, मिठाइयां, प्रोसेस्ड/फ्रोजन फल-सब्जियां, पैकिंग वाला पनीर, मसाले जूस, जड़ी-बूटी, नमकीन घी, ड्राई फ्रूट, फल और सब्जी जूस, उवर्रक, जेम जैली, कीटनाशक, प्लास्टिक के पाइप और इलेक्टिक मोटर महंगे हो जाएंगे।
जीएसटी से कर्ज में डूबा किसान और भी कर्जदार हो जाएगा। किसानों को खेती करने के लिए जो भी चीजें बाजार से खरीदनी पड़ती हैं, सभी महंगी हो जाएंगी, लेकिन किसान का उत्पाद सस्ता हो जाएगा। इससे किसानों की लागत नहीं निकल पाएगी।ऋषिपाल अम्बावत, राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारतीय किसान यूनियन
यानि अगर आप दिल्ली या लखनऊ जैसे किसी शहर में रहते हैं और एक जुलाई को किसी बड़ी दुकान (टैक्स वाली) से 50 रुपए वाली आलू की टिक्की खरीदते हैं तो वह 59 की मिलेगी। नौ रुपए की ये महंगाई जीएसटी के चलते होगी। आपकी जेब से नौ रुपए ज्यादा जरूर जाएंगे, लेकिन इससे आलू उगाने वाले किसानों को कोई फायदा नहीं होगा।
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इसी तरह गेहूं उसी तरह बिकेगा, लेकिन उससे तैयार बिस्किट महंगे हो जाएंगे। ऐसे ही उर्वरक और सिंचाई के लिए पाइप और अन्य उपकरण महंगा होगा, लेकिन अनाज पर असर नहीं होगा।
जीएसटी पर पूरे देश में आंदोलन की धमकी देने वाले संगठन भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ऋषिपाल अम्बावत ने कहा, ‘जीएसटी से कर्ज में डूबा किसान और भी कर्जदार हो जाएगा। किसानों को खेती करने के लिए जो भी चीजें बाजार से खरीदनी पड़ती हैं, सभी महंगी हो जाएंगी, लेकिन किसान का उत्पाद सस्ता हो जाएगा। इससे किसानों की लागत नहीं निकल पाएगी।’
जीएसटी से दहशत में किसान, एक जुलाई से महंगी होगी खेती, लेकिन किस-किस पर पड़ेगा असर, पता नहीं
एक तरफ तो मोदी सरकार और नीति आयोग फसल की लागत घटाने की बात करते हैं और दूसरी तरफ GST के चलते फ़र्टिलाइज़र जो की पहले 0 से 8 फीसदी के स्लैब में था को अब 12 फीसदी के टैक्स स्लैब में रख दिया है। इससे फ़र्टिलाइज़र के मूल्य में 5-7% वृद्धि होगा। अगर सरकार सब्सिडी नहीं बढ़ाएगी तो ये बोझ किसान पर आएगारमनदीप मान, कृषि मामलों के विशेषज्ञ
जीएसटी देश के लघु उद्योग के लिए खतरनाक है। इससे लागू होने से लघु उद्यमियों को मिलने वाली छूट समाप्त हो जाएगी, जिसका असर किसानों पर पड़ेगा।डॉ. अश्विनी महाजन, राष्ट्रीय सह-संयोजक, स्वदेशी जागरण मंच
यही वजह है कि कर्जमाफी और अपनी उपज के उचित मूल्य की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों को एक जुलाई की चिंता सताने लगी है। दिल्ली विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के अध्यापक और स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक डॉ. अश्विनी महाजन फोन पर दिए साक्षात्कार में गाँव कनेक्शन को बताते हैं, ‘जीएसटी देश के लघु उद्योग के लिए खतरनाक है। इससे लागू होने से लघु उद्यमियों को मिलने वाली छूट समाप्त हो जाएगी, जिसका असर किसानों पर पड़ेगा।’
डॉ. अश्विनी के मुताबिक, ‘किसानों का लघु उद्यमियों से सीधा संबंध है।’ वो आगे कहते हैं, ‘किसानों के उत्पाद को बहुत बड़ी मात्रा में यह लोग ही खरीदते हैं। ऐसे में किसानों के सामने संकट आ सकता है। सरकार का दावा कर प्रणाली में सुधार होगा और मुद्रास्फीति घटेगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है। ऐसे में महंगाई बढ़ेगी तो इससे सबसे ज्यादा किसानों पर प्रभाव पड़ेगा।’
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डॉ. अश्विनी की चिंता को समझने के लिए आंकड़ों, बयानों और दावों को थोड़ा और सरल करते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार ये बात दोहराते हैं कि 2022 तक किसान की आमदनी दोगुनी करनी है। सरकार और अर्थशास्त्री ये भी कहते रहे हैं कि किसान की आमदनी बढ़ानी है तो वो अपनी उपज को उत्पाद बनाकर बेचें। जैसे गेहूं को आटा और टमाटर का सॉस या जैम, लेकिन जीएसटी के बाद खाद्य व प्रस्संस्करण की मुहिम को झटका लग सकता है।
उदाहरण के लिए आप ऐसे समझिए कि अभी फल और सब्जियों पर जो पांच फीसदी टैक्स लगता है वह एक जुलाई के बाद 12 फीसदी होगा। वहीं फ्रूट जैम सॉस आदि पर टैक्स 18 फीसदी होगा, यहां तक की इस सीजन में किसानों के माटी मोल बिकने वाले आलू की जब टिक्की बन जाएगी तो उस पर 18 फीसदी टैक्स लगेगा, क्योंकि वो पकी हुए रूप में होगी।
‘जीएसटी से महंगा होगा खेती करना’
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के सेंटर फॉर इकोनामिस्ट स्टडीज एंड प्लानिंग, स्कूल ऑफ सोशल साइंस के अर्थशास्त्री सुरजीत दास भी किसानों को लेकर चिंतित हैं। ‘जीएसटी को लेकर सरकार का पक्ष का है कि इससे टैक्स को जो बोझ है वह उत्पादक से लेकर उपभोक्ता में शिफ्ट हो जाएगा, लेकिन इसको लेकर संशय है। बात अगर कृषि की जाए तो जीएसटी से खेती करना महंगा होगा, जिससे किसानों को नुकसान होगा।’ दास कहते हैं, वो जीएसटी को लेकर लगातार अध्ययन भी करते रहे हैं।
वर्तमान समय में सत्ताधारी भाजपा कभी खुद इसके विरोध में थी और इससे जुड़े संगठन आज भी मुखालफत कर रहे हैं। वाम दल हमेशा की तरह इसे किसान विरोधी बता रहे हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अनजान ने कहा, ‘जीएसटी किसी कीमत पर किसान हितैषी नहीं है। इससे किसानों को अतिरिक्त टैक्स देना पड़ेगा, जो छूट मिल रही है वह समाप्त हो जाएगी।’
मुद्रास्फीति बढ़ेगी किसान प्रभावित होगा
खेती में किसानों की लागत का बड़ा हिस्सा उर्वरक, कीटनाशक और सिंचाई पर जाता है, लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद ये तीनों चीजें महंगी होंगी। यही वजह है कि देश के सबसे बड़े किसान संगठऩों में से एक भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय सचिव मोहिनी मोहन मिश्रा ने कहा, ‘जीएसटी आने के मुद्रास्फीति 18 से 20 फीसदी बढ़ेगा, जिससे किसान प्रभावित होंगे इसलिए सरकार को इसपर कदम उठाना चाहिए।’
विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन की एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, ‘साल 2050 में भारत को 2400 लाख टन खाद्यान्न की आवश्यकता होगी। ऐसे में जीएसटी लागू होने से किसान बड़ी संख्या में खेती से अलग हो जाएंगे जो देश में खाद्य संकट उत्पन्न कर सकता है। भारतीय किसान संघ ने इसको लेकर देश के सभी सांसदों को पत्र लिखा है कि वह किसानों की स्थिति पर ध्यान दें, जिससे सरकार किसानों के लिए ऐसी नीति बनाए जिससे खेती करना आसान हो और किसानों को लाभकारी मूल्य मिले।