विश्वविद्यालयों के लिए साझा हिन्दी शिक्षण योजना तैयार कर सकता है एचआरडी मंत्रालय  

Update: 2017-04-24 13:48 GMT
प्रणब मुखर्जी, राष्ट्रपति

नई दिल्ली (भाषा)। देश भर के विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में जल्द ही ‘साझा हिन्दी शिक्षण योजना' लागू की जा सकती है, क्योंकि इस संबंध में संसदीय समिति की सिफारिशों को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा गया है। इसके साथ ही बिना हिन्दी विभाग वाले विश्वविद्यालयों से इस विभाग को स्थापित करने को कहा जा सकता है।

देश-दुनिया से जुड़ी सभी बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करके इंस्टॉल करें गाँव कनेक्शन एप

सिफारिशों में कहा गया है कि सभी शैक्षणिक संस्थाओं को न्यूनतम स्तर की हिंदी शिक्षा का स्तर तय करना चाहिए। इसके अलावा गैर हिन्दी राज्यों में छात्रों को विश्वविद्यालयों और संस्थाओं को अपना उत्तर लिखने के लिए उनकी मातृ भाषा के विकल्प का उपयोग करने की अनुमति दी जानी चाहिए। ऐसे कुछ राज्यों में उन्हें हिन्दी में परीक्षा या साक्षात्कार का विकल्प नहीं दिया जाता है।

ये भी पढ़ें: हिन्दी सिनेमा की ‘ट्रेजडी क्वीन’ थीं मीना कुमारी

इस पहल का विपक्ष समेत कई वर्गों से आलोचना का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि कई वर्ग हिन्दी को थोपने के प्रयास का आरोप लगाते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को ज्ञापन सौंप चुके हैं। राष्ट्रपति आदेश में कहा गया है कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में स्वायत्ता प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों ने कुछ कानून बनाए हैं, जिसके तहत कुछ विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थाओं में निर्देश का एकमात्र माध्यम अंग्रेजी है। इसमें कहा गया है कि इस संबंध में देश के सभी हिस्सों में एकरुप नीति का पालन किया जाना चाहिए।

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

Similar News