GST : बीएमडब्ल्यू से चलने वाले व्यक्ति और किसानों पर एक जैसा कर 

Update: 2017-07-01 14:51 GMT
किसान।

लखनऊ। जीएसटी काउंसिल ने किसानों को केवल बीज खरीदने पर अतिरिक्त टैक्स देने से राहत दी है। बीज पर किसी भी प्रकार का कोई तरह टैक्स नहीं लगाया गया है। लेकिन किसान को खेती करने के लिए और कई तरह अन्य वस्तुएं भी चाहिए होती हैं, जिन्हें जीएसटी काउंसिल ने 12 से 28 फीसदी टैक्स स्लैब में रखा है। बीएमडब्ल्यू से चलने वाला व्यक्ति और गरीब किसानों, दोनों पर एक जैसा जीएसटी टैक्स लगाया जा रहा है।

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गन्ना किसान।

कृषि जिला आधिकारी दिवेन्द्र कुमार सिंह ने कहा, "फर्टीलाइजर पर पैसा ज्यादा बढ़ा है। किसानों को जीएसटी से बहुत नुकसान होगा। किसानों को लागत के अनुसार फसलों पर सही पैसा नहीं मिल पाता है। सरकार किसानों की सब्सिडी बढ़ाएगी, जिससे किसानों को राहत मिलेगी।

बस्ती के किसान श्रीराम चौहान बताते है, "खेती किसानी से सम्बधित सारे उपकरण महंगे होंगे लेकिन किसानों कि होने वाली आमदनी में कोई भी मुनाफा नहीं है। सामान सारे महंगे हो रहे लेकिन फसल के दाम नहीं बढ़े रहे, लेकिन हम लोगों को विश्वास है कि सरकार किसानों के साथ ऐसा नहीं करेगी।"

इफ्को के क्षेत्राधिकारी यशवीर सिंह ने बताया कि पेस्‍टीसाइड पर 5.5 फीसदी अधिक टैक्‍स देना होगा, देश में लगभग 50 हजार टन पेस्‍टीसाइड का इस्‍तेमाल होता है। छोटे किसानों को ये ज्यादा महंगा पड़ेगा। सरकार को ज्यादा फायदा होगा। अभी तक पेस्‍टीसाइड पर 12.5 फीसदी एक्‍साइज टैक्‍स लगता था। एक यूरिया बैग (50 किलोग्राम) की कीमतों में 35 रुपए तक की बढ़ोतरी होगी। इसके अलावा डीएपी, पोटास, एनपीके आदि पर भी असर होगा।"

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प्रदेश सरकार से भी किसानों को अभी तक राहत नहीं मिली है। किसान के पास एक बीघा जमीन है तो उसे अब 360 रुपए अतिरिक्त खर्चा पड़ेगा। अभी किसान को 680 रुपए का यूरिया पड़ता है जो जुलाई से 720 रुपए का हो जाएगा। वहीं डाई पर 1050 रुपए से बढ़कर 1300 रुपए देने होंगे। इसी तरह जिंक 250 से 270 रुपए और कीटनाशक 550 से 600 रुपए देने होंगे। इस हिसाब से देखा जाए तो हर एक बीघे पर 360 रुपए अतिरिक्त खर्चा आएगा।

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एक तरफ महंगी कार से चलने वाले लोगों पर जीएसटी 28 प्रतिशत लगाया है। वहीं गरीब किसानों पर भी 28 प्रतिशत जीएसटी लगा रहे हैं। एग्रीकल्‍चर सेक्‍टर में प्‍लास्टिक पाईप, टायर आदि की भी काफी खपत होती है। सिंचाई के लिए प्‍लास्टिक पाईप को इन दिनों सरकार की ड्रिप सिंचाई प्‍लास्टिक पाइप को जीएसटी के अधिकतम टैक्‍स स्‍लैब 28 फीसदी में रखा गया है।

उत्तर प्रदेश किसान यूनियन के मण्डल अध्यक्ष हरिनाम सिंह बताते है, किसान पहले से ही कर्ज को लेकर बहुत परेशान है। वहीं जीएसटी से किसान सड़क पर आ जाएगा। किसानों की इस समस्या को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी को पत्र दिया जाएगा। खाद्य से लगाकर खेती के सभी उपकरण महंगे कर दिए हैं। लेकिन फसल गेहूं, धान के पैसे नहीं बढ़ाए गए। व्यापारी किसान मजदूर इन सबके बारे में सरकार ने एक बार भी नहीं सोचा। जीएसटी नाम का कानून किसानों पर जबरदस्ती थोपा जा रहा है।

धान की नर्सरी लगाते किसान

उत्‍तर प्रदेश के सीतापुर जिले के सिधौली तहसील के डिस्‍ट्रीब्‍यूटर पप्पु पाण्डेय बताते हैं, ट्रैक्‍टर पार्ट्स को 18 से 28 फीसदी टैक्‍स स्‍लैब में रखा गया है। इनमें गियर बॉक्‍स व इंजिन पार्ट्स पर 28 फीसदी टैक्‍स लगेगा। इसकी वजह से ये सभी पार्ट्स महंगे हो जाएंगे।"

जीएसटी के बाद मशीनरी का रखरखाव होगा महंगा किसानों के लिए ट्रैक्‍टर व अन्‍य डीजल व पेट्रोल मशीनरी का रखरखाव भी महंगा हो जाएगा। हम लोगों की बात अगर नहीं मानी गई तो सड़क पर अन्दोलन करेगें। जीएसटी से किसान कमजोर होगा और कुछ नहीं।

भारत में हर साल लगभग 6.5 लाख ट्रैक्‍टर की बिक्री होती है। इनमें सबसे ज्‍यादा बिक्री काम्‍पैक्‍ट ट्रैक्‍टर (14 से 42 एचपी) जिनकी कीमत लगभग 2.5 लाख रुपए से लेकर 5.5 लाख रुपए के बीच है। ट्रैक्‍टर पर 12 फीसदी जीएसटी लगेगा। इसका मुख्‍य कारण कंपनियों के लिए इनपुट कॉस्‍ट ज्‍यादा होना भी है।

गेहूं की कटाई करते किसान।

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अनुमान लगाया जा रहा हैं अगर ऐसा होता है तो मजदूर, व्यापारी और किसान एक होकर सड़क पर प्रदर्शन करेंगे।

प्रदेश सरकार से भी राहम नहीं मिली। जीएसटी देश में लागू हो रहा है कि थोपा जा रहा। मोदी सरकार को तीन साल का सही चेहरा दिखाकर रहेंगें।

धर्मेन्द्र मालिक (भारतीय किसान यूनियन राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी)

वाणिज्य कर अधिकारी जूही सक्सेना (डिप्टी कमिश्नर) जानकारी देते हुए कहा कि "शासन के कार्यान्वयन की सुविधा के उद्देश्य देश भर में कॉमन सर्विस सेंटर, सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड (जीएसटी सुविधा प्रदाता)' के रूप में कार्य करेंगे। सीएससी के केंद्र संचालक द्वारा व्यापारियों के पंजीकरण, रिटर्न दाखिल करने में मदद करेंगे और जीएसटी के तहत विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायता करेंगे। और अब व्यापारियों की सुविधा को दृष्टिगत रखते हुए आने वाले समय में कॉमन सर्विस सेंटर के जरिये जीएसटी ब्यौरा ऑनलाइन किया जा सकेगा।

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