ब्लाक स्तर पर मौसम की एडवाइजरी से किसानों को होगा ऐसे फायदा? ये है IMD की तैयारी

कब होगी बारिश, कैसा रहेगा मौसम, फसल में लग सकते हैं से कीट और रोग, मौसम विभाग जल्द इसकी जानकारी किसानों तक पहुंचाएगा? जानिए क्या है तैयारी

Update: 2019-11-20 13:01 GMT
  • कब होगी बारिश, कैसा रहेगा मौसम, कौन से लगेंगे कीट, अब मिलेगी जानकारी
  • मौसम विभाग की कृषि एडवाइजरी में पूर्वानुमान के साथ होती है फसल में रोग-कीट लगने की जानकारी
  • कृषि विज्ञान केंद्रों पर तैनात किए गए हैं वैज्ञानिक और आब्जर्वर
  • मौसम के पूर्वानुमान के साथ ही संभावित कीट और रोगों के बारे में भी होती है 

पुणे (महाराष्ट्र)। भारत की ज्यादातर खेती मौसम पर आधारित है, और ये मौसम ही किसानों को अक्सर नुकसान भी पहुंचाता है। मौसम को बदला नहीं जा सकता, लेकिन उसके हिसाब से खेती करके किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं और होने वाले नुकसान से बच सकते हैं। भारत मौसम विभाग अब किसानों को उनके क्षेत्र के हिसाब से न सिर्फ मौसम का पूर्वानुमान बताए बल्कि ये भी बताएगा कि उनकी फसल में कौन से कीट लग सकते हैं।

मौसम विभाग की ग्रामीण कृषि मौसम सेवा अब किसानों के और नजदीक पहुंच रही है। आईएमडी और आईसीआर नए साल में ब्लाक स्तर पर किसानों को मौसम का पूर्वानुमान और कृषि मौसम परामर्श सेवाएं देगा। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर कई बदलाव किए गए हैं। महाराष्ट्र के पुणे में स्थित कृषि मौसम विज्ञान विभाग के प्रमुख डा. कृपाण घोष से गांव कनेक्शन ने इस संबंध में विस्तार से चर्चा की है। 

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डा. कृपाण घोष के मुताबिक अभी तक भारत में मौसम को लेकर पूर्वानुमान और कृषि सलाह एग्रोक्लेमैटिक जोन ( एग्रोमेट फील्ड यूनिट्स)के हिसाब से कृषि मौसम परामर्श सेवाएं (एडवाइजरी) जारी की जाती है। एक एग्रो क्लाईमेटिक जोन में 6 से 7 जिले होते हैं। लेकिन आने वाले कुछ समय में किसानों को जिले नहीं अपने ब्लाक के हिसाब से जानकारी मिलेगी। मौसम विभाग और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद मिलकर इस महत्वाकांक्षी योजना को लागू कर रहे हैं।" मौसम विभाग के मुताबिक फिलहाल 4 करोड़ किसानों को जानकारियां भेजी जा रही है। लेकिन साल 2020 तक इस तरह की सेवाएं 9 करोड़ से ज्यादा किसान उठा सकेंगे।

डा. कृपाण घोष बताते हैं, किसानों को हम लोग 2008 से ही जिला स्तर पर एडवाइजरी देते आ रहे हैं। लेकिन इस साल से ब्लाक के स्तर पर एडवाइजरी मिलेगी। इसलिए ब्लाक स्तर पर सेंटर बनाए जा रहे हैं। भारतीय मौसम विभाग ने आईसीएआर के साथ मिलकर 660 जिलों में विशेष स्टेशन बनाए जा रहे हैं। पहले फेज में जो हमारे (मौसम विभाग) के 130 सेंटर हैं उनके साथ ही 200 स्टेशन और बनाएंगे। बाकी जिलों का काम दूसरे फेज में होगा।"

किसानों तक मौसम की सटीक जानकारी पहुंचाने के लिए हर जिले के कृषि विज्ञान केंद्र में एक सेंटर बनाएगा जाएगा। जहां पर एक वैज्ञानिक और एक निरीक्षक की तैनाती होगी। ये लोग जिले की आबोहवा, मौसम को देखकर वहां की प्रमुख फसलों के लिए एडवाजारी जारी करेंगे।


मौसम विभाग कृषि एडवाइजरी में अभी तक जोन में आने वाले जिलों में हवामान, पर्वावरण का पिछला और मौजूदा हाल देखकर, आगामी पांच दिनों के लिए कृषि की वर्तमान अवस्था के अनुसार उसी जोन के लिए एडवाइजरी बनाई जाती है। डा. घोष बताते हैं, "एडवाइजरी में बताया जाता है कि किसान को मौसम के अनुसार सिंचाई करनी चाहिए कि नहीं। फसल में कौन सा कीड़ा लग सकता है। कौन सा रोग सकता है। क्योंकि किसान आज सिंचाई करे और दूसरे दिन बारिश हो जाए तो सिंचाई का पैसा तो जाएगा ही फसल भी बर्बाद हो सकती है। इसलिए अगर सिंचाई की संभावना होती है तो किसान को बताया जाता है।"

ये एडवाइजरी स्थानीय चैनल, अख़बार के साथ ही केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले किसान पोर्टल में रजिस्टर्ड किसानों के मोबाइल नंबर पर मुफ्त भेजी जाती हैं। इसमें रजिस्ट्रेश के वक्त ही किसान जिस जिले को चुनता है, उसके मोबाइल पर उसी के अनुसार जानकारी होती है।

मौसम विभाग मंगलवार और शुक्रवार को एडवाइजरी जारी कहता है। डा. घोष बताते हैं, खेती में रोज कोई बदलाव नहीं होता है, इसलिए प्रतिदिन की जरुरत भी नहीं होती है। इस बीच अगर कोई अलर्ट (आंधी, तूफान, साइक्लोन) की आशंका होती है तो अलग से भी मैसेज भेजे जाते है।

डा. कृपाण घोष, प्रमुख, कृषि मौसम विज्ञान विभाग, पुणे, महाराष्ट्र

पृथ्वी विभाग मंत्रालय (Ministry of Earth Sciences) ने 27 जुलाई 2019 को किसानों को मौसम की जानकारी देने के लिए मेघदूत नाम का ऐप भी लांच किया था। किसान इस ऐप को प्ले स्टोर के जरिए मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं।

मेघदूत ऐप में जिले के मुताबिक 4-5 दिन की वेदर कंडीशन और अगले 4-5 दिन का वेदर फोरकास्ट होता है। साथ ही उस जिले की प्रमुख फसलों के लिए एडवाइजरी भी होती है।

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