Monsoon Forecast: मौसम विभाग ने कहा- सामान्य के करीब रहेगा मानसून, किसानों के लिए अच्छी खबर
लखनऊ। भारतीय मौसम विभाग ने आज मॉनसून को लेकर अपना पूर्वानुमान जारी कर दिया है। मौसम विभाग के अनुसार इस साल मानसून सामान्य के करीब रहेगा। विभाग ने इस साल मानसून के पूर्वानुमान कई भागों में बांटा हैं। मौसम विभाग ने प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि इस साल सामान्य के 96 फीसदी बारिश होगी।
IMD (मौसम विभाग) ने अलनीनो को लेकर दुनिया भर की एजेंसियों की आशंकाओं को खारिज कर दिया है। इससे पहले अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों की मौसम एजेंसियों समेत भारत में स्काईमेट ने भी मानसून की चाल पर अलनीनो के असर की आशंका जताई थी। इस साल अलनीनो का असर नहीं होगा।
मौसम विभाग का अनुमान है कि इस मानसून सीजन में देश में लंबी अवधि के औसत की 96 फीसदी बारिश संभव है। इसके पहले आशंका थी कि अलनीनो की वजह से मानसून पर असर पड़ सकता है। मौसम विभाग मानसून का अगला अपडेट जून के पहले हफ्ते में देगा।
बता दें कि हाल ही में वेदर वेबसाइट स्काईमेट ने इस साल के लिए अनुमान जारी करते हुए कहा था कि इस साल 93% बारिश होगी। यह अनुमान सामान्य से कम बारिश का है। मौसम विभाग के मुताबिक, इस साल देश के हर इलाके में बेहतर बारिश होने की संभावना है। वहीं, कम बारिश होने की संभावना बेहद कम है।
देश में पिछले साल बारिश की स्थिति अच्छी नहीं थी, ऐसे में मौसम विभाग की भविष्णवाणी पर सबकी निगाहें टिकी हुई थीं। मौसम विभाग ने पिछले दिनों अपने बयान में कहा था कि इस साल देश के कुछ में हिस्सों में मई-जून के बीच तापमान में 0.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ोतरी हो सकती है।
Powerful thunderstorms to sweep across North and Central India in the next few.days Warnings should be sent out. Haryana, Punjab and UP could bear the brunt like last year. Threat to Rabi crop also. #Delhi #haryana #Punjab #UP #PMO pic.twitter.com/B7uQ64PNoQ
— Jatin Singh (@JATINSKYMET) April 15, 2019
वहीं दूसरी ओर स्काईमेट ने अपने पूर्वानुमान में दावा किया था कि इस बार मानसून सामान्य के मुकाबले कम होगा क्योंकि अल्नीनो (EL Nino) इसे प्रभावित करेगा। स्काईमेट की मानें तो इस बार 93 फीसदी तक बारिश हो सकती है।
किसानों के लिए अच्छी खबर
मानसून के सामान्य के करीब रहने की उम्मीद किसानों के लिए अच्छी खबर है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा "मानूसनी वर्षा दीर्घकालिक औसत (एलपीए) के 96 प्रतिशत रहने की संभावना है। उसमें मॉडल त्रुटि के तौर पर पांच फीसद का उतार-चढ़ाव हो सकता है। एलपीए 1951 और 2000 के बीच की बारिश का औसत है जो 89 सेंटीमीटर है।"
आईएमडी ने दीर्घकालिक अनुमान में कहा कि पूर्वानुमान बताता है कि 2019 की दक्षिण पश्चिम मानसूनी वर्षा सामान्य के करीब रहने की संभावना है। मानसूनी वर्षा के सामान्य से ऊपर और अधिक रहने की गुजाइंश बहुत कम है। आईएमडी के मुताबिक, सामान्य के करीब वर्षा होने की उम्मीद 39 फीसदी और सामान्य से कम वर्षा होने की संभावना 32 फीसदी तथा सामान्य से ऊपर वर्षा की महज 10 फीसद संभावना है।
विभाग का कहना है कि निम्न वर्षा की 17 फीसदी और अत्यधिक वर्षा की सिर्फ दो फीसदी संभावना है। आईएमडी महानिदेशक के जे रमेश ने कहा कि मानसून सीजन के दौरान पूरे देश में वर्षा होने की संभावना है जो आगामी खरीफ की फसल के दौरान किसानों के लिए मददगार होगी। मानसून को भारतीय उपमहाद्वीप में जीवनरेखा समझा जाता है जहां अर्थव्यवस्था अब भी कृषि पर काफी हद तक आश्रित है लेकिन देश के कई क्षेत्र कृषि संकट से गुजर रहे हैं।
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महत्वपूर्ण बात यह है कि आईएमडी ने एलपीए के 96-104 फीसद के बीच की वर्षा के लिए सामान्य के करीब की एक श्रेणी शुरू की है। पिछले साल के उसके पूर्वानुमान में 96-104 फीसद के बीच की वर्षा को सामान्य श्रेणी में रखा गया था। एलपीए के 90-96 प्रतिशत के बीच की वर्षा सामान्य से कम की श्रेणी में आती है। 96 फीसद वर्षा को सामान्य से कम और सामान्य की श्रेणी की सीमा पर माना जाता है। जब राजीवन से सामान्य के करीब श्रेणी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सामान्य मानसून होगा।
हाई रेजुलेशन साउथ एशिया ड्रॉट मॉनिटर ने 6 अप्रैल 2019 को जारी 'ड्रॉट अर्ली वॉर्निंग सिस्टम (डीईडब्ल्यूएस) इंडिया' नाम से जारी अपनी रिपोर्ट में बताया कि भारत का 16.59 फीसदी हिस्सा इस वक्त लगभग भीषण सूखे से जूझ रहा है। जबकि 41 फीसदी हिस्से में सूखे जैसे हालात हैं। इसी रिपोर्ट में बताया गया है कि 6 अप्रैल 2018 को देश का मात्र 10.81 फीसदी हिस्सा भीषण सूखे की चपेट में था।
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