आप अगर संकल्प कर लें तो पत्रकारिता में एक नई तरह की पत्रकारिता कर सकते हैं : राजदीप सरदेसाई

Update: 2017-12-01 16:07 GMT
वरिष्ठ टीवी पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने ग्रामीण पत्रकारिता को बताया आवश्यक।

"आप अगर संकल्प कर लें तो यकीनन एक नई तरह की पत्रकारिता कर सकते हैं। जैसे बराक ओबामा कहते थे कि, यस वी कैन। आपने दिखाया है कि पत्रकारिता में भी एक नई तरह की पत्रकारिता की जा सकती हैं, ऐसा कहना है देश के वरिष्ठ टीवी पत्रकार और पद्मश्री पुरस्कार विजेता राजदीप सरदेसाई का।

राजदीप मेट्रो शहरों में रहने के बावजूद ग्रामीण भारत पर अपनी नजर रखते हैं। दो दिसंबर को गाँव कनेक्शन की पांचवीं वर्षगांठ है। इस मौके पर गाँव कनेक्शन को बधाई देते हुए कहते हैं "मैं अपनी ओर से गाँव कनेक्शन की पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आपने वो कर दिखाया जो मेन स्ट्रीम मीडिया भी नहीं कर पाती। हम सब कहते हैं कि भारत गाँव में रहता है, कस्बों में रहता है। हमें वहां की स्टोरी करनी चाहिए। गाँव कनेक्शन ने अपनी पत्रकारिता से जो वो कर दिखाया। उसके लिए यही कहना चाहता हूं कि आप अगर आप संकल्प ले लें कि आप एक नई तरह की पत्रकारिता कर सकते हैं। जैसे बराक ओबामा कहते थे कि, यस वी कैन।"

पांच वर्ष पूरे होने पर राजदीप सरदेसाई ने गाँव कनेक्शन को दी बधाई, सुनिए उन्होंने क्या कहा

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किसानों पर राजदीप का ट्वीट

राजदीप सरदेसाई का जन्म 24 मई 1965 को महाराष्ट्र में हुआ। इनके पिता दिलीप सरदेसाई देश के जानेमाने क्रिकेटर थे। उन्होंने 30 टेस्ट मैचों में देश का प्रतिनिधित्व किया। राजदीप की प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा महाराष्ट्र के ही कैथड्रल और जॉन कैनन स्कूल में हुई। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से स्नातक और लॉ की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया से पत्रकारिता की शुरुआत की। बाद में एनडीटीवी से जुड़े। आगे चलकर अपना टीवी चैनल भी शुरू किया। वर्तमान में राजदीप इंडिया टुडे टीवी चैनल में कंसल्टिंग एडिटर हैं।

ग्रामीण भारत और किसानों पर राजदीप अपने एक आर्टिकल में लिखते हैं "क्या यह ‘नया’ भारत है, जिसमें कृषि भूमि सिकुड़ती जा रही है, जहां छोटे किसान गांवों के सूदखोरों के कर्ज तले दबे हैं और बम्पर फसल होने पर भी उपज के लिए पर्याप्त कीमत नहीं पाते? मसलन, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में दलहनों के रिकॉर्ड उत्पादन के बाद भी आत्महत्याओं में आई तेजी की क्या व्याख्या हो सकती है? वहां किसान आत्महत्या कर रहे हैं, जबकि बड़े बिज़नेस घराने मुनाफे पर दलहनों का आयात कर रहे हैं?"

राजदीप कुछ इस तरह ग्रामीण भारत पर अपनी चिंता व्यक्त करते हैं

वहीं इसी लेख में भारत के ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों पर अपनी चिंता व्यक्त करने हुए राजदीप लिखते हैं "जहां नगर पालिकाएं गड्‌ढों से मुक्त सड़कें देने में लगातार नाकाम रहती हैं, जहां हर साल दर्जनों नागरिक सड़क दुर्घटनाओं का शिकार होते हैं, जिन्हें बेहतर बुनियादी ढांचा मुहैयाकर टाला जा सकता है? पिछली बार कब नगर पालिका के किसी सड़क ठेकेदार को निर्माण की शर्तों पर खरा उतरने का दोषी ठहराया गया? जवाबदेही के बिना ध्वस्त होता नागरिक सुविधाओं का बुनियादी ढांचा शहरी दुस्वप्न ही है, जो ‘स्मार्ट सिटीज़’ के विचार को खींच-तानकर पैदा की गई मरिचिका भर बना देता है।"

बिहार के पूर्णिया में स्कूली बच्चों के साथ राजदीप।

ऐसे में ग्रामीण भारत और खेती किसानी के मसलों पर राजदीप को गाँव कनेक्शन से काफी उम्मीदें रखते हुए कहते हैं "आपने दिखाया है कि पत्रकारिता में एक नई तरह की पत्रकारिता की जा सकती है। गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में हुई बच्चों की मौत की खबरों का इम्पैक्ट जिस तरह से गाँव कनेक्शन की खबरों का हुआ, मुझे तो नहीं लगता कि किसी मेन स्ट्रीम मीडिया का ऐसा इम्पैक्ट रहा होगा। तो मैं उम्मीद करता हूं आप इसी तरह आगे बढ़िए। केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं, देशभर की कहानियां जनता के सामने लाएं और दिखाएं कि पत्रकारिता केवल टेलीविजन स्टूडियो में नहीं होती, जमीन पर भी होती। पूरी टीम को शुभकामनाएं।"

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