लखनऊ। केरल में किसानों की आत्महत्या को लेकर विपक्षी दल कांग्रेस की अगुवाई वाले यूडीएफ (यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट) ने विधानसभा में सोमवार को खूब हो-हल्ला मचाया। इनके साथ ही माकपा की अगुवाई वाली सरकार से मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की तरह ही किसानों के कृषि ऋण माफ करने की मांग की। इन दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार है।
माकपा नीत एलडीएफ सरकार ने बताया कि वह केरल राज्य किसान ऋण माफी आयोग के जरिए किसानों के दो लाख रुपये तक के ऋण माफ करने की योजना पर कार्य कर रहे हैं लेकिन किसानों के मुद्दों पर सदन में चर्चा करने से इंकार के बाद विपक्ष के सदस्य सदन से बाहर चले गए।
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सदन से बाहर जाने से पहले सत्तारूढ़ और विपक्षी सदस्यों के बीच हाल के समय में कर्ज या फसल नुकसान की वजह से आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या पर बहस हुई। सदन में कृषि मंत्री वीएस सुनील कुमार ने कहा कि 2016 में एलडीएफ की सरकार राज्य में आने के बाद इडुक्की में 10 और वायनाड में पांच किसानों ने आत्महत्या की तो विपक्ष के नेता रमेश चेन्नीथला ने तर्क करते हुए कहा कि पिछले डेढ़ साल में 18 किसानों ने आत्महत्या की है।
कृषि मंत्री कुमार ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं बाढ़, सूखा और ओखी तूफान की वजह से कृषि क्षेत्र चुनौतियों का सामना कर रहा है और किसान गंभीर मानसिक परेशानियों से गुजर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की सहायता के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है और कृषि क्षेत्र को पटरी पर लाने के लिए कई पैकेज की घोषणा भी की है।
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वहीं नरेंद्र मोदी सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में किसानों के हित में जो फैसला हुआ उसके अनुसार अब देश के 14.5 करोड़ किसानों को सीधे फायदा पहुंचेगा। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले शुरू हुई किसान सम्मान निधि योजना का दायरा बढ़ा दिया गया है। अब सभी किसानों को 6,000 रुपए सालाना मिलेगा। इस प्रस्ताव पर मुहर लग गई है।
इससे पहले किसानों के लिए 2 हेक्टेयर भूमि की सीमा तय की गई थी, जिसे अब समाप्त कर दिया गया है। पहले इस योजना के दायरे में 12 करोड़ किसान ही आते थे। कैबिनेट बैठक में फैसला लिया गया था कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का दायरा बढ़ाया जाएगा। इस योजना की घोषणा वित्त वर्ष 2019-20 के अंतरिम बजट में की गई थी। यह योजना 75,000 करोड़ रुपये की है।
वहीं कैबिनेट बैठक में असंगठित मजदूरों को साल में 3000 रुपए पेंशन देने की योजना पास की गई है। इस योजना का ऐलान अंतरिम बजट में किया गया था। इसका नाम 'प्रधानमंत्री श्रम-योगी मानधन वृहद पेंशन योजना' है। इसके तहत निर्माण मजदूर, बीड़ी बनाने वाले, रेहड़ी-पटरी वाले, हथकरघा कामगार, कूड़ा बीनने वाले, रिक्शा चालक, खेती कामगार, चमड़ा कामगार और ऐसे ही काम करने वाले अन्य असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को फायदा मिलेगा। करीब 42 करोड़ कामगारों को इससे फायदा होगा। (इनपुट भाषा)