कृषि कुंभ 2018: किसानों को सिखाए जाएंगे आमदनी बढ़ाने के आसान तरीके, जानिए क्या-क्या होगा ख़ास, आज से शुरू

Update: 2018-10-26 05:09 GMT

लखनऊ। एक एकड़ खेत से कैसे एक किसान हर महीने 15-20 हजार रुपए कमा सकता है? कैसे कोई किसान अपनी बंजर उजाड़ जमीन को खेती योग्य बना सकता है? कैसे कोई किसान पशुपालन से मुनाफा कमा सकता है? खेती में नई तकनीकी क्या हैं? फायदे की खेती कैसे होती है? कैसे आप खेती से जुड़ा कारोबार कर सकते हैं या नया उद्योग लगा सकते हैं? ऐसी तमाम जानकारियां आपको कृषि कुंभ 2018 में एक जगह पर मिलेंगी। Full View

26 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लगने वाले कृषि कुंभ (Krishi Kumabh, Internation conference and exhibition 2018) में भारत में खेती किसान, पशुपालन, कृषि जुड़े उद्योग, बीज और सीड कंपनियां, बैंक, यूपी सरकार और केंद्र सरकार से जुड़े विभाग और संस्थाएं शामिल हो रही हैं। यूपी के कृषि विभाग का दावा है कि कृषि कुंभ किसानों और पशुपालकों की आमदनी बढ़ाने की दशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, क्योंकि यहां पर किसानों नई तकनीकी, अविष्कार और संसाधनों को समझने का मौका मिलेगा साथ ही मौके पर ही उनके सवालों के जवाब दिए जाएंगे। कुंभ में करीब 50 हजार किसानों के आने का अनुमान है। 

कृषि कुंभ 2018 में भूमि संरक्षण अनुभाग की प्रदर्शनी। फोटो- दिति बाजपेई

लखनऊ के तेलीबाग में स्थिग भारतीय गन्ना शोध संस्था (आईआईएसआर) में करीब 13 हेक्टेयर में खेती, पशुपालन, फार्म मशीनरी, गाय-भैंस की प्रजातियां, मुर्गी और बकरी पालन, इंटीग्रेटेड खेती (आईएफएस), भूमि संरक्षण, फूड प्रोसेसिंग (खाद्य प्रसंस्करण), ई-नाम, जैविक खेती, क्रॉप मैनेजमेंट, सौर्य ऊर्जा, मछली, दुग्ध इंड्रस्ट्री, बॉयो गैस, एग्रो केमिकल समेत इन क्षेत्रों से जुडे विभाग और कंपनियां और संस्थाओं के लिए पंडाल तैयार कर लिए गए हैं।

कृषि कुंभ 2018 का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए करेंगे, जबकि केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह, पुरुषोत्तम रुपाला, गजेंद्र सिंह चौहान, कृष्णा राज मौके पर मौजूद रहेंगे। कृषि कुंभ में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीआर) की 20 प्रयोगशालाएं कृषि क्षेत्र में हुए प्रयोगों को दिखाएंगी। भारतीय कंपनियों और विशेषज्ञों के साथ जापान और इजराइल जैसे देशों की कंपनियां और प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।






यूपी के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही कृषि कुंभ को किसानों के लिए संजीवनी बता रहे हैं। शाही ने मीडिया से बातचीत में पिछले दिनों कहा कि कुंभ में इजराइल और जापान के विशेषज्ञ किसानों की समस्याओं का समस्याओं का समाधान बताएंगे। किसानों को मौके पर चीजें दिखाई जाएंगी, ताकि किसान ये समझ सकें कि कैसे इसे आत्मसात करना है।"

कृषि कुंभ में इंफ्रास्ट्रक्चर का जिम्मा दिपाली डिजाइन एंड एग्जीविशन प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया है। कंपनी के मुताबिक पूरे भारत में ये अपनी तरह का पहला इतना बड़ा आयोजन है। कंपनी के कर्मचारी पिछले डेढ़ महीने से इस पर काम कर रहे हैं। कृषि कुंभ में प्रदर्शन के लिए कई विभाग भी महीनों से अपनी तैयारियों में जुटे हैं। बुंदेलखंड और बीहड़ जैसे इलाकों को कैसे खेती योग्य बनाया। यूपी के भूमि संरक्षण अनुभाग कृषि विभाग के डीजी एसपी सिंह बताते हैं "कृषि कुंभ किसानों के लिए बहुत खास होगा क्योंकि हम लोग फिल्ड में क्या काम कर रहे हैं, उसका यहां पर लाइव प्रदर्शन होगा। कौन सा विभाग कैसे किसानों के लिए किस तरह काम कर रहा है किसानों को इसकी जानकारी होगी, इस विशष के कई वक्ता और सफल किसान होंगे जो किसानों के सामने अपनी बात रखेंगे।' 

कृषि विभाग के मुताबिक इंटीग्रेटेड फर्मिंग सिस्टम किसानों की आमदनी बढ़ाने का बड़ा जरिया बन सकता है।

उन्होंने बताया कि जैसे यूपी सरकार समर्थित किसान समृद्धि योजना के तहत इसमें समस्याग्रस्त क्षेत्र (नदी, नालों के करीब वाले, जंगल, बीहड आदि) हैं जहां खेती नहीं हो रही है वहां सरकार 25 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर का अनुदान देकर उसमें सुधार किया जाता है। हम जमीन को कैसे बांध बनाकर अलग-अलग बांटते हैं, ताकि वो खेती योग्य बन सके और वो नदी-नालों में न कटे इसके लिए उन्हें सीधे प्रदर्शन किया जाएगा।'




प्रदर्शनी स्थल के दूसरी तरफ इंट्रीग्रेटड खेती (समन्वित या सामेकित खेती) का डेमो दिया जाएगा। कृषि विभाग ने सामेकित खेती की पूरी तैयारियां कर रखी हैं। इसमें खेती, पशुपालन, मुर्गी पालन, बागवानी, फूलों की खेती, मछली पालन, आदि को एक साथ मिलकार ऐसा मॉडल तैयार किया गया है कि किसान को सालभर किसी न किसी फसल से आमदनी होती रहे। 

यूपी में होने वाले कृषि कुंभ में 50 हजार किसानों के आने का अनुमान।



लखनऊ के जिला कृषि अधिकारी ओपी मिश्रा बताते हैं, "हमने किसानों के प्रदर्शन के लिए जो मॉडल तैयार किया है वो एक एकड़ में है। इसमें थोड़े-छोड़े एरिया में कई फसलें हैं। मछली मछली के लिए तालाब है, तालाब की बाउंड्री पर पपीते और अमरूद के पौधें हैं। 2 एचपी का सोलर पंप हैं। इस तरह पहली बार इसमें करीब डेढ़ से 2 लाख रुपए की लागत आएगी, अगर इसी मौजूदा मॉडल को आधार माने तो किसानों को इससे साल में किसी न किसी फसल, मछली, मुर्गी आदि से करीब 2 लाख रुपए की आमदनी होगी। यानि हर महीने 15-20 हजार रुपए की आय होगी।'

इंट्रीग्रेटिड फार्मिग मॉडल में वर्मी कंपोस्ट और नाडेप की भी व्यवस्था होगी, ताकि किसानों को बाहर से डीएपी और यूरिया न खरीदनी पड़े। कृषि अधिकारी ओपी मिश्रा कहते हैं, यूपी में किसानों की लैंड होल्डिंग यानि कृषि योग्य जमीन प्रति किसान करीब 0.8 हेक्टेयर है, यानि ज्यादातर किसानों के पास पास एक से डेढ़ एकड़ खेत हैं, ऐसे में इंटीग्रेटेड सिस्टम उनके लिए काफी लाभकारी साबित हो सकता है। हम किसानों को यही दिखाने और समझाने की कोशिश करेंगे।'

खेती के साथ ही कृषि कुंभ में पशुपालन, मुर्गी और मछली पालन आदि पर भी खासा ध्यान दिया गया है। कुंभ में पशुपालन, पोषण और प्रजनन को लेकर किसानों को जागरुक किया जाएगा। यूपी के पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉ. अरविंद कुमार सिंह गांव कनेक्शन को बताते हैं, इस मेले में देश कई इलाकों की गाय-भैंस बकरियों की नस्लों की प्रदर्शन लगाई जाएगी। बकरी पालन और मुर्गी पालन के बारे में बताया जाएगा। अभी तक आपने गाय-भैंस के कृतिम गर्भाधान के बारे में देखा होगा लेकिन यहां बकरी का गर्भाधान करके दिखाया जाएगा। साथ ही चारे की समस्या को देखते हुए कई तरह की जानकारियां और सुझाव दिए जाएंगे।' Full View

कृषि कुंभ में क्या होगा खास

कृषि विभाग और कृषि संस्थानों के कार्यों और योजनाओं की प्रदर्शनी

खेती का मशीनीकरण और फार्म में उपयोग की जाने वाली मशीनें

खेती से जुड़े लघु एवं सूक्ष्म उद्योग

फर्टीलाइजर, माइक्रोन्यूटेंट और बॉयो फर्टीलाइजर

बागवानी, फल और फूल की खेती और मधु मक्खीपालन

पशुपालन, पशु सेहत और रखरखाव

ग्रामीण पर्यटन, ग्रामीण स्वास्थ्य और स्वच्छता

माइक्रो इरीगेशन, ड्रिप इरीगेशन और संरक्षित खेती (पॉली हाउस और ग्रीन हाउस)

गन्ना,चीनी और उसके उत्पाद

कृषि और खाद्य प्रसंस्करण (फूड प्रोसेसिंग)

कोल्ड चेन और कोल्ड चेन सप्लाई

कृषि कुंभ की तैयाारियां

बैंक और वित्तीय समावेशन

डेयरी, पॉल्ट्री और रेशम पालन

पशुपालन और मछली पालन

जैविक खेती

फसल बीमा

औषधीय और सगंध पौधों की खेती

सौर्य उर्जा और ग्रीन एनर्जी 

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