बैंक में नौकरी करने वालों के लड़के या लड़कियों से शादी करने से बचें, दारुल उलूम देवबंद का फतवा

Update: 2018-01-04 14:32 GMT
दारुल उलूम देवबंद इस्लामिक स्कूल।

लखनऊ (भाषा)। देश के प्रमुख इस्लामी शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने अपने एक फतवे में बैंक की नौकरी से चलने वाले घरों से शादी का रिश्ता जोड़ने से परहेज करने को कहा है।

दारुल उलूम के फतवा विभाग दारल इफ्ता ने कल यह फतवा एक व्यक्ति द्वारा पूछे गए सवाल पर दिया है। उस शख्स ने पूछा था कि उसकी शादी के लिए कुछ ऐसे घरों से रिश्ते आए हैं, जहां लड़की के पिता बैंक में नौकरी करते हैं, चूंकि बैंकिंग तंत्र पूरी तरह से सूद (ब्याज) पर आधारित है, जो कि इस्लाम में हराम है, इस स्थिति में क्या ऐसे घर में शादी करना इस्लामी नजरिये से दुरस्त होगा?

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इस पर दिए गए फतवे में कहा गया, ऐसे परिवार में शादी से परहेज किया जाए। हराम दौलत से पले-बढ़े लोग आमतौर पर सहज प्रवृत्ति और नैतिक रूप से अच्छे नहीं होते। लिहाजा, ऐसे घरों में रिश्ते से परहेज करना चाहिए। बेहतर है कि किसी पवित्र परिवार में रिश्ता ढूंढा जाए। इस्लामी कानून या शरीयत में ब्याज वसूली के लिए रकम देना और लेना शुरू से ही हराम माना जाता रहा है। इसके अलावा इस्लामी सिद्धांतों के मुताबिक हराम समझे जाने वाले कारोबारों में निवेश को भी गलत माना जाता है।

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इस्लाम के मुताबिक धन का अपना कोई स्वाभाविक मूल्य नहीं होता, इसलिये उसे लाभ के लिए रहन पर दिया या लिया नहीं जा सकता। इसका केवल शरीयत के हिसाब से ही इस्तेमाल किया जा सकता है। दुनिया के कुछ देशों में इस्लामी बैंक ब्याजमुक्त बैंकिंग के सिद्धांतों पर काम करते हैं।

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