मोदी सरकार का फैसला: आईआईएमसी की स्वायत्ता होगी खत्म, एफटीआईआई समेत दो संस्थानों का होगा कॉर्पोरेटाइजेशन

Update: 2017-06-14 15:45 GMT
भारतीय जन संचार संस्थान, दिल्ली।

लखनऊ | मोदी सरकार तीन प्रमुख संस्थानों के कॉर्पोरेटाइजेशन करने की तैयारी में है। इसमें फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई), सत्यजीत रे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट (एसआरएफटीआई) और दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी शामिल हैं। वहीं इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन (आईआईएमसी) को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय या जामिया मिल्लिया इस्लामिया में विलय करने की योजना है।

अंग्रेजी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार ने जनवरी में सोसाइटीज ऑफ रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत बनाए गए स्वतंत्र संस्थाओं की समीक्षा शुरू की थी। समीक्षा के पहले चरण में सात मंत्रालयों या विभागों के अंतर्गत आने वाले 114 संस्थानों की समीक्षा की गई जिनको 72,206 करोड़ की सहायता दी गई। भारत में ऐसी 679 स्वायत्त संस्थाएँ हैं।

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प्रधानमंत्री दफ़्तर तथा नीति आयोग के नेतृत्व में हुई बैठक में 24 संस्थानों को एक संस्थान में मिलाने, 11 संस्थानों को अन्य संस्थानों के साथ सम्बद्ध करने, चार संस्थानों को बन्द करने तथा तीन संस्थानों के निजीकरण करने का निर्णय लिया है।

रिव्यू कमेटी ने ये लिये निर्णय

  • एफटीआईआई तथा सत्यजीत रे फिल्म एवं टेलीविज़न संस्थान तथा दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी का निजीकरण होगा।
  • आईआईएमसी को जवाहर नेहरू विश्वविद्यालय या जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से संबद्ध किया जाएगा।
  • सिंधी भाषा के संवर्धन हेतु राष्ट्रीय परिषद्, नई दिल्ली को भारतीय भाषा संस्थान, मैसूर तथा उसके अन्य प्रादेशिक संस्थानों के साथ संबद्ध किया जाएगा।
  • भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद्, भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् तथा भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद् को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय अथवा भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद् से सम्बद्ध किया जाएगा।
  • इसके साथ ही उर्दू भाषा के संवर्धन हेतु राष्ट्रीय परिषद्, नई दिल्ली को जामिया मिल्लिया इस्लामिया अथवा मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय से सम्बद्ध किया जाएगा।

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