लखनऊ। कैंसर की आखिरी स्टेज में बीमार को होने वाले दर्द से बचाने की दवाओं का इस्तेमाल नशे के लिए किया जा रहा है। इन दवाओं में मारफीन मिलाई जाती है। जिसकी बाजार में कीमत करीब एक करोड़ रुपये किलो है। मगर इन दवाओं के माध्यम से बहुत कम कीमत में नशेड़ियों तक ये दवा पहुंच रही है। इस तरह के मामलों के सामने आने पर अब प्रदेश भर में आबकारी विभाग की ओर से ऐसे सभी दवा डिस्ट्रीब्यूटरों को नोटिस जारी की गई है। उनको सख्त हिदायत दी गई है कि वे दवाओं का पूरा रिकार्ड रखें। ये दवाएं उन्होंने किसको और कितनी तादाद में बेची, इसका पूरा डेटा पारदर्शी तरीके से स्टाकिस्टों को रखना पड़ेगा।
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कैंसर में कीमोथेरपी के बाद होने वाले भयानक दर्द से बचाने के लिए विशेषज्ञ दवाओं का इस्तेमाल करते हैं। इन दवाओं में मारफीन का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे मरीज को आराम महसूस होता है। मगर मारफीन होने की वजह से इस दवा पर नशे के कारोबारियों और नशेड़ियों की नजर पड़ चुकी है। जिसकी वजह से इन दवाओं की खरीद होकर इनको नशे के अड्डों तक पहुंचाया जा रहा है। जिसके बाद इनको युवाओं तक पहुंचा कर उनकी इसकी लत लगाई जा रही है। आबकारी विभाग के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पिछले कुछ समय में इस तरह की सूचनाएं आने के बाद दवाओं के इस्तेमाल को लेकर अब कड़े प्रतिबंध लगाए जाएंगे। पूरे प्रदेश के आबकारी अधिकारियों को इस संबंध में दिशा निर्देश जारी कर दिये गये हैं। जिसके बाद में आबकारी अधिकारी अपने अपने जिलों में संबंधित डिस्ट्रीब्यूटरों को नोटिस दे रहे हैं।
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लखनऊ में जिला आबकारी अधिकारी ने बताया कि, आश्वी फार्मास्युटिकल्स 628/बी-9 कुर्मान्चलनगर सर्वोदयनगर और मेसर्स शकुन सेल्स प्रालि 29-30 गोल माकेट महानगर के पास कैंसर दर्द निवारक औषधियां जो नारकोटिक्स ड्रग्स के अन्तर्गत आती है उपलब्ध हैं। ये नारकोटिक्स औषधियां चिकित्सक के परामर्श के अनुसार रोगियों को आवंटित की जाती है। इसलिए नारकोटिक्स औषधियों के दुरूपयोग की सम्भावना के दृष्टिगत सम्बन्धित इकाईयों से औषधियों का लेखा जोखा भी अपने पास संरक्षित रखने के निर्देश दिये हैं।
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ये नारकोटिक्स औषधियां चिकित्सक के परामर्श के अनुसार रोगियों को आवंटित की जाती है। इसलिए नारकोटिक्स औषधियों के दुरूपयोग की सम्भावना के दृष्टिगत सम्बन्धित इकाईयों से औषधियों का लेखा जोखा भी अपने पास संरक्षित रखने के निर्देश दिये हैं।जेबी यादव, जिला आबकारी अधिकारी, लखनऊ
खतरनाक है मारफीन, कई रोगों की जड़
कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल, डेनमार्क के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में ये पाया कि मारफीन आपके खून में मिल जाती है और फिर किडनी से फिल्टर होने के बाद ही शरीर से निकलती है। इस प्रक्रिया में, ये ड्रग किडनी तक हो रहे खून के बहाव को प्रभावित करती है। जिससे कि एलर्जिक रिएक्शन हो सकता है या किडनी को नुकसान पहुंच सकता है। एक अध्ययन के मुताबिक, इस तरह की दवाओं के कारण ही 20प्रतिशत से ज्यादा किडनी फेलियर के मामले होते पेनकिलर भी आपके डिप्रेशन का कारण हो सकती है। शोधकर्ताओं ने पाया कि ओपिओड जैसी पेन किलर का लंबे वक्त तक इस्तेमाल करने से डिप्रेशन हो सकता है।
अध्ययन में शामिल लोगों ने 80 से अधिक दिन ओपिओडि खाई और उनका डिप्रेशन का जोखिम 53 प्रतिशत बढ़ गया। इबूप्रोफेन के अधिक इस्तेमाल से ऐसे लोगों का मृत्यु का जोखिम बढ़ता है जिन्हें कभी हार्ट अटैक हो चुका हो। ऐसे मरीज़ों का ख़तरा, ये दवा खाने के बाद 59% तक बढ़ जाता है। नेशनल इंसीट्यूट फॉर हेल्थ एंड क्लीनिकल एक्सीलेंस (एनआईसीइ) के अनुसार दर्द के लिए ली जाने वाली ड्रग अधिक खाने वाले लोग लोगों बहुत अधिक सिरदर्द होने लगता है।
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