बच्चों के लिए क्यों जरूरी है रोटा वायरस वैक्सीन की खुराक

98 देशों में रोटा वायरस वैक्सीन दिया जा रहा है एवं जिन देशों में रोटा वायरस वैक्सीन दी जा रही है वहां रोटा वायरस के कारण अस्पताल में भर्ती और मृत्य के दर में कमी दर्ज की गयी है

Update: 2019-07-04 07:01 GMT

पटना। भारत में 5 वर्ष से कम आयु के लगभग 9 प्रतिशत बच्चों की मृत्यु डायरिया के कारण हो जाती है। यह बच्चों में लंबे समय तक कुपोषण का कारण भी होता है। इससे बच्चों में जरूरी शारीरिक एवं मानसिक विकास में बाधा आती है एवं अन्य रोगों से ग्रसित होने की संभावना भी बढ़ जाती है।

बिहार में रोटा वायरस के मदद से हर साल डायरिया से 33 लाख नवजात शिशुओं का बचाव किया जा सकेगा। बच्चों को डायरिया से निजात दिलाने के लिए रोटा वायरस टीके को नियमित प्रतिरक्षण में शामिल किया गया। फुलवारीशरीफ स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से इसकी औपचारिक शुरुआत हुई।


बिहार के प्रधान सचिव ने कहा," शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में रोटा वायरस की खुराक मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने बताया की शिशु मृत्यु दर के दो प्रमुख कारण डायरिया और निमोनिया हैं तथा स्वास्थ्य विभाग दोनों पर काबू पाकर शिशु मृत्यु दर में कमी लाने हेतु प्रयासरत है।"

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क्या है रोटा वायरस?

रोटा वायरस वह विषाणु है जिसकी वजह से आंतों का इनफेक्शन यानि जठरांत्रशोथ (गैस्ट्रोएंटेराइटिस) होता है। इस इनफेक्शन से आंत की अंदरुनी परत को नुकसान पहुंचता है और इस वजह से आपका शरीर भोजन से केवल थोड़े से या फिर कोई पोषक तत्व अवशोषित नहीं कर पाता। छह महीने से दो साल तक के बच्चों को इसका खतरा सबसे अधिक होता है। अध्ययन दर्शाते हैं कि पांच साल का होने से पहले तकरीबन हर बच्चे को यह इनफेक्शन होता है।

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विकास आयुक्त सुभाष शर्मा ने बताया, " 90 प्रतिशत प्रतिरक्षण के लक्ष्य के प्राप्ति के लिए काबिलियत के साथ सम्पूर्ण समर्पण और अथक प्रयास की जरुरत है तथा सभी को इसके लिए आगे आना चाहिए। इस अवसर पर प्रधान सचिव व विकास आयुक्त महोदय द्वारा डेंगू व चिकनगुनिया जागरूकता रथ को रवाना किया गया।

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सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में उपलब्धता

इसकी पूरी उपयोगिता व लक्ष्य प्राप्ति को ध्यान में रखते हुए सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र के स्वास्थ्य कर्मियों के साथ एएनएम को पूर्व में ही प्रशिक्षण प्रदान कराया गया है। साथ ही कुशल कार्यान्वयन के लिए जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर इसकी पूर्ण उपलब्धता भी सुनिश्चित की गयी है। भारत के 15 राज्यों में 4.14 करोड़ खुराक बच्चों को पिलाई जा चुकी है और यह वैक्सीन पुर्णतः सुरक्षित है।

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98 देशों में दिया जाता है यह वैक्सीन

98 देशों में रोटा वायरस वैक्सीन दिया जा रहा है एवं जिन देशों में रोटा वायरस वैक्सीन दी जा रही है वहां रोटा वायरस के कारण अस्पताल में भर्ती और मृत्य के दर में कमी दर्ज की गयी है। राज्य भर में रोटा वायरस को नियमित टीकाकरण में शामिल किये जाने हेतु सभी आवश्यक तयारी पूरी कर ली गयी है, इस हेतु राज्य, जिला एवं प्रखंड स्तर तक चिकित्सा पदाधिकारी, एएनएम, आशा, आंगनवाड़ी एवं अन्य सहयोगी कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा चूका है एवं राज्य के सभी 663 शीत श्रृंखला भंडार गृहों पर वैक्सीन की उल्ब्धता सुनिश्वित की जा चुकी है।

लक्षणों को जाने

रोटा वायरस संक्रमण में गंभीर दस्त के साथ-साथ बुखार और उल्टियाँ भी होती हैं और कभी- कभी पेट में दर्द भी होता है। दस्त एवं अन्य लक्षण लगभग 3 से 7 दिनों तक रहते हैं। रोटा वायरस संक्रमण की शुरुआत हल्के दस्त से होती है जो आगे जाकर गंभीर रूप ले सकता है। पर्याप्त इलाज न मिलने के कारण शरीर में पानी व नमक की कमी हो सकती है तथा कुछ मामलों में बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है।

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बरतें सावधानियां

-बच्चे को खाना खिलाने से पहले अपना एवं बच्चे का हाथ साफ़ करें

-बच्चे को ताजा एवं स्वच्छ भोजन ही दें

-दस्त के लक्षण दिखाई देने पर नियमित अंतराल पर ओआरएस का घोल दें

-बच्चों को रोटा वायरस का टीका दिलाएं

-पहली ख़ुराक जन्म के 6 सप्ताह पर, दूसरी 10 सप्ताह पर एवं आखिरी 14 सप्ताह पर दिलाएं.

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