नये साल पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया अपने ग्राहकों को एक खुशखबरी दे सकता है। केंद्र सरकार के दवाब और ग्राहकों की आलोचना के बाद एसबीआई बचत खातों के लिए न्यूनतम जमा राशि रखने की शर्त को हटा सकता है। फिलहाल एसबीआई के बचत खाते में कम से कम तीन हजार रुपये रखना जरूरी है, अन्यथा ग्राहक को बतौर जुर्माना कुछ रकम का भुगतान करना पड़ता है। शहरी ब्रान्च में अभी मिनिमम बैलेंस की सीमा 3000 रुपये है। बैंक मासिक औसत बैलेंस की जरूरत को तिमाही औसत बैलेंस में बदलने की तैयारी में भी है। यानी ग्राहकों को हर महीने की बजाय तिमाही पर अपने अकाउंट में निर्धारित बैलेंस मेंनटेन करना होगा।
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क्या हो सकता है नया नियम
जानकारी के मुताबिक बीते सार जून में न्यूनतम बैलेंस की सीमा 5000 रुपए कर दी गई थी। बैंक के पास देशभर में लगभग 27 करोड़ बचत खाता है। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अप्रैल से नवंबर 2017 के दौरान अपने खाता धारकों से मिनिमम अकाउंट बैलेंस न रख पाने के एवज में 1,771 करोड़ रुपए वसूले हैं।
यह रुपए स्टेट बैंक के जुलाई-सितंबर की तिमाही के नेट प्रॉफिट 1581.55 करोड़ से भी ज्यादा है और अप्रैल-सितंबर के नेट प्रॉफिट 3586 करोड़ का आधा। वित्त वर्ष 2016-17 में एसबीआई अपने खाता धारकों से मिनिमम अकाउंट बैलेंस न रख पाने के लिए कोई चार्ज नहीं वसूला था। पांच साल के गैप के बाद इसी वित्त वर्ष में इस पर पैसे वसूलने की दोबारा शुरुआत हुई। एसबीआई में 42 करोड़ बचत खाते हैं, जिनमें से 13 करोड़ बचत बैंक जमा खाता और प्रधानमंत्री जन धन योजना खाते हैं। इन दोनों श्रेणियों के खातों से मिनिमम अकाउंट बैलेंस न रख पाने के लिए पैसे नहीं वसूले गए हैं।
बैंक के अधिकारियों ने कहा कि इस बारे में अभी कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। हालांकि सूत्रों ने बताया कि बैंक दरों में कटौती के बाद इसके असर की गणना कर रहा है।
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किन लोगों को होगा फायदा
मासिक की बजाय तिमाही बैलेंस के नियम से उन लोगों को फायदा होगा जिनके अकाउंट में किसी महीने कैश की कमी हो जाती है, लेकिन अगले महीने वह कैश जमा भी कर देते हैं।
हालांकि, एसबीआई में मिनिमम बैलेंस की सीमा दूसरे पब्लिक सेक्टर बैंकों से अधिक और बड़े प्राइवेट बैंक्स से कम है। उदाहरण के तौर पर आईसीआईसीआई, एचडीएफसी, कोटक और एक्सिस बैंक के मेट्रो अकाउंट्स में मिनिमम बैलेंस सीमा 10 हजार रुपये है।