प्रवासी मजदूरों की हालत पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केंद्र और राज्य सरकारों को भेजा नोटिस

लॉकडाउन के समय में देश में प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अब सख्त रूप अख्तियार किया है।

Update: 2020-05-26 14:44 GMT

लॉकडाउन के समय में देश में प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अब सख्त रूप अख्तियार किया है। इस मामले में स्वयं संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है और प्रवासी मजदूरों के लिए अब तक उठाए गए क़दमों के बारे में जवाब दाखिल करने को कहा है।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस संजय किशन कॉल ने अपने आदेश में कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स में यह लगातार सामने आ रहा है कि प्रवासी मजदूर अभी भी साइकिल से, यहाँ तक की पैदल अपने घरों की ओर लौटने को मजबूर हैं। ये मजदूर अभी भी हाईवे और राज्य की सीमाओं में फँसे हैं और इनके लिए सरकारी इंतजाम अपर्याप्त हैं।

दो पन्नों के इस आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण हैं कि समाज के इस वर्ग को लॉकडाउन के दौरान लम्बी दूरियां पैदल तय करनी पड़ रही है। ये मजदूर जहाँ फँसे हैं वहां से प्रशासन और सरकार के खिलाफ खाने-पीने के इंतजामों को लेकर शिकायत कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश में लॉकडाउन अभी भी जारी है और देश के इन प्रवासी मजदूरों को मदद की जरूरत है। यह इनके लिए कठिन दौर है। सरकारी इंतजामों में इनकी मदद के लिए किये गए तमाम प्रयास नाकाफी हैं और इसमें कई कमियां हैं। ऐसे में हम प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा को लेकर एकमत हैं कि केंद्र और राज्य सरकारों को इनकी मदद के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 28 मई को होगी जिसमें केंद्र सरकार इन मजदूरों के लिए उठाए गए क़दमों से अवगत कराएगी। इस दौरान सॉलिसिटर जनरल अदालत में रहेंगे।    

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