ये सरकारी स्कूल निजी स्कूलों को दे रहा मात, रिकॉर्डतोड़ बच्चों ने लिया था एडमिशन

Update: 2017-09-29 19:33 GMT
रामानुजगंज का प्राथमिक पाठशाला।

लखनऊ। ये फोटो किसी हाईफाई प्राइवेट स्कूल की नहीं है। ये एक सरकारी स्कूल की तस्वीर है। यहां की खासियत बस इसकी सुंदर बनावट ही नहीं, यहां सुविधाएं भी ऐसी हैं जो किसी महंगे प्राइवेट स्कूल में नहीं होंगी।

छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के पाठशाला रामानुजगंज को अब नई पहचान मिल गई है। मॉडल प्रज्ञा प्राथमिक शाला के रूप में विकसित हो चुका ये सरकारी प्राथमिक पाठशाला जिले के सभी निजी स्कूलों को भी मात दे रहा है। मोटी फीस वसूल कर बेहतर शिक्षा देने का दावा करने वाले निजी स्कूलों से ज्यादा बच्चे इस सरकार स्कूल में पढ़ने आ रहे हैं। यहां बच्चों को पढ़ाने के लिए अभिभावकों में होड़ मची है। स्थिति यह है कि स्कूल प्रबंधन अब नया प्रवेश लेने की स्थिति में नहीं नहीं है, क्योंकि उपलब्ध सुविधाओं व संसाधनों के आधार पर जितने बच्चों को यहां एडमिशन दिया जा सकता था, उतना एडमिश दिया जा चुका है।

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रामचंद्रपुर विकासखंड में रामानुजगंज में 1934 से स्थापित प्राथमिक शाला को मॉडल प्रज्ञा प्राथमिक शाला के रूप में विकसित किया किया गया है। मॉडल प्राथमिक शाला में ऐसी व्यवस्था दी जा रही है कि निजी शैक्षणिक संस्थानों में भी ऐसी व्यवस्था नहीं होगी।

यहां एलईडी के माध्यम मनोरंजनात्मक पढ़ाई कराई जा रही है। साथ ही साथ भवन का जीर्णोंद्घार कर कलात्मक पेंटिंग बनाई गयी है। दीवारों से भी शिक्षा दिलाई जा रही है। पूरे स्कूल कैंपस में पेवर ब्लाक लगाया गया है। वहीं परिसर के अंदर ही बच्चों के बैठकर पढ़ने के लिए बाल चौपाल व मध्यान्ह भोजन करने के लिए भी टेबल बैंच लगवाए गए हैं। बच्चों के पढ़ने के लिए भी नागपुर से टेबल-बेंच मंगाए गए हैं। पूरे परिसर के दीवार में विभिन्न प्रकार की पेंटिंग करवाई गई है। आधुनिक किचन शेड निर्माण व टाइलेट में टाइल्स लगवाए गए हैं।

स्कूल में अपनी बेटी के साथ कलेक्टर अवनीश शरण।

स्कूल का वातावरण भी शुद्ध

प्राथमिक शाला से दो वर्ष पूर्व सेवानिवृत हो चुके शिक्षक दयाशंकर दूबे ने पांच साल पहले स्कूल के चारों तरफ सागौन, आम, गुड़हल, शीशम, गम्हार सहित अन्य पौधे लगवाए गए थे, जो आज आकर्षण का केंद्र बने हैं। स्कूल के चारों ओर हरियाली इसकी सुंदरता को बढ़ा रही है। स्कूल के मॉडल के रूप में बनने से उत्साहित दयाशंकर दुबे प्रतिदिन सेवानिवृत्ति के बाद भी स्कूल पहुंच यहां हो रहे सारे कार्यों की निगरानी करते हैं और आवश्यकता पड़ने पर बच्चों को पढ़ाते भी हैं।

इस वर्ष 152 ने लिया दाखिला

प्राथमिक शाला के मॉडल प्रज्ञा शाला में पिछले वर्ष 114 बच्चें का दाखिला हुआ था जबकि इस साल 152 बच्चों ने दाखिला लिया। बच्चों की संख्या अधिक होने के कारण कई बच्चे जो दाखिला नहीं दिया जा सका।

कलेक्टर की निगरानी में हुआ काम

प्राथमिक शाला के मॉडल प्रज्ञा प्राथमिक शाला की मानिटरिंग कलेक्टर अवनीश शरण द्वारा की जा रही है, जो प्रत्येक सप्ताह खुद आकर निरीक्षण करते हैं। कलेक्टर अवनीश शरण का मानना है कि सरकारी स्कूलों में सारी व्यवस्थाएं सुनिश्चित कर बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने की कोशिश के तहत यह प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि स्कूलों का वातावरण ऐसा बनाया जा रहा है कि बच्चों का गहरा जुड़ाव हो और पढ़ाई के प्रति विशेष अभिरूचि उनमें जागृत हो सके। उन्होंने बताया कि अक्टूबर में प्रत्येक ब्लाक में कम से कम एक स्कूल प्रज्ञा माडल स्कूल के रूप में विकसित हो जाएगा।

आपको बता दें कि कलेक्टर अवनीश शरण की बेटी वेदिका भी इसी स्कूल में पढ़ती है। जुलाई में जब उन्होंने अपनी बेटी का एडमिशन यहां कराया था तो मीडिया में इनकी बहुत तारीफ हुई थी और सभी ने उनके फैसल को सराहा था।

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