केंद्र ने यूपी सरकार को जारी किया था बजट, नहीं हुआ खर्च तो किसानों को दिया ऑफर

केंद्र सरकार ने पराली प्रबंधन के लिए यूपी सरकार को 185 करोड़ रुपए दिए थे, जो कि खर्च नहीं हो पाए। ऐसे में यूपी सरकार को ये फैसला लेना पड़ा।

Update: 2018-10-29 14:44 GMT

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पराली प्रबंधन के लिए कृषि उपकरण खरीदने वाले किसानों को 6 नवंबर तक 40 से 80 फीसदी का अनुदान दिया जा रहा है। ये छूट 8 उपकरणों पर दी जा रही है। दरअसल, केंद्र सरकार ने पराली प्रबंधन के लिए यूपी सरकार को 185 करोड़ रुपए दिए थे, जो कि खर्च नहीं हो पाए। ऐसे में यूपी सरकार को ये फैसला लेना पड़ा।

प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कृषि कुंभ के समापन अवसर पर इस अनुदान की घोषणा की थी। उन्‍होंने कहा था, ''प्रदेश के किसानों की आमदनी तेजी से बढ़े, किसानों को तकनीक का साथ मिले यही सरकार की मंशा है। किसानों ने जो कृषि उपकरण यहां देखे हैं, अगर वो 6 नवंबर तक उन्हें खरीदेते हैं तो उसपर बिना इंतजार के सब्सिडी मिलेगी। ये छूट 8 उपकरणों पर है, जिनमें एक उपकरण खरीदने पर 40 फीसदी, तो वहीं पराली प्रबंधन से जुड़े तीन उपकरण लेने पर 80 फीसदी तक छूट दी जाएगी।"

पंजाब हरियाणा और उत्‍तर प्रदेश में फसल अवशेषों का प्रबंधन बड़ी समस्‍या है। पर्यावरण को लेकरनेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के सख्‍त रुख को देखते हुए केंद्र सरकार ने 'प्रमोशन ऑफ एग्रीकल्‍चरल मैकेनाइजेशन फॉर इन-सीटू मैनेजमेंट ऑफ क्रॉप रेज्‍ड्यू योजना' लागू की है। इसके तहत फसल अवशेष को नष्ट करने वाले कृषि यंत्रों पर किसानों को सब्सिडी दी जा रही है।

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केंद्र सरकार ने इसके लिए राज्‍यों को बजट जारी किया था। सरकार ने वर्ष 2018-19 के लिए कुल 591 करोड़ का बजट आवंटित किया था। इसमें से पंजाब को 269 करोड़, हरियाणा को 137 करोड़ और उत्‍तर प्रदेश को 185 करोड़ रुपए जारी किए गए थे। केंद्र सरकार द्वारा जारी इस बजट को 7 नवंबर तक खर्च करना था, लेकिन किसानों की धीमी चयन प्रकिया की वजह से इस राशि के लैप्‍स होने का अनुमान था। ऐसे में यूपी सरकार ने इस योजना की प्रकिया का आसान कर दिया, जिससे इस बजट को खर्च किया जा सके।

उत्‍तर प्रदेश के कृषि विभाग के प्रमुख सचिव अमित मोहन प्रसाद द्वारा जारी लेटर के मुताबिक, ''केंद्र सरकार की इस योजना द्वार जारी बजट को 7 नवंबर तक खर्च करना था। इसके लिए प्रदेश में पोर्टल के माध्‍यम से किसानों का चुनाव होता, लेकिन किसानों की चयन प्रकिया की धीमी गति को देखते हुए इसके नियम में बदलाव किया गया। अब प्रदेश के कोई भी पंजीकृत किसान इन उपकरणों को भारत सरकार के द्वारा इम्‍पैनल्‍ड निर्माता कंपनियों या अधिकृत विक्रेताओं से बिना चयन पत्र जारी हुए ही सीधे खरीद सकते हैं।''


हालांकि किसानों तक सही समय पर इस योजना की जानकारी न पहुंचने से कृषि कुंभ में आए किसान बड़ी-बड़ी मशीनों को सिर्फ देखकर ही लौट गए। कृषि कुंभ में लखीमपुर खीरी के झखर पिपरी गाँव से आए अमनदीप कहते हैं, ''इस मेले से किसानों को जानकारी तो मिल रही है। किसान नई नई तकनीक के बारे में जान पा रहा है। हां,मशीनें महंगी जरूर हैं, लेकिन सरकार सहायता दे तो छोटे किसान भी इसे ले सकेंगे।''

वहीं, मोहलालगंज के परवर पश्‍चिम गाँव से आए किसान जदुनाथ यादव ने कहा था, ''मैंने मशीनों की जानकारी ली है। ये मशीनें महंगी हैं इसलिए मैं खरीद नहीं सकता। हमारे जैसे छोटे किसान तो किराए पर ही खेत जुतवा लेते हैं। ऐसी मशीनें हम न खरीद पाएंगे।'' लेकिन इन किसानों के पास अभी भी मौका है। ये चाहें तो 6 नवंबर तक पराली प्रबंधन से जुड़े उपकरणों पर छूट पा सकते हैं।

इन उपकरणों पर मिलेगी छूट

1. सुपर स्‍ट्रा मैनेजमेंट सिस्‍टम कम्‍बाइन हार्वेस्‍टर के साथ।

2. हैपी सीडर

3. पैडी स्‍ट्रा चापर/श्रेडर/मल्‍चर

4. सब मास्‍टर/कटर कम स्‍प्रेडर

5. रोटरी स्‍लेशर

6. रिवरसेबिल एम.बी. प्‍लाऊ

7. जीरो-टिल सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल

8. रोटावेटर 

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