RTI से व्यापम की पोल खोलने वाले की आपबीती, 'सोलह बार हुए जानलेवा हमले और फिर सोशल मर्डर'

Update: 2018-07-18 10:51 GMT

लखनऊ। एक सीधा सादा लड़का कैंसर से पीड़ित अपनी माँ का इलाज कराने जब अस्पताल पहुंचा तो वहां मौजूद डाक्टरों द्वारा किए जा रहे इलाज को देखकर उसका माथा ठनका। उसकी माँ की ज़िंदगी तो नहीं बची लेकिन उसने डाक्टरों के असलियत को उजागर करने की ठान ली।

शिक्षा के क्षेत्र में देश के सबसे बड़े घोटाले मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) को उजागर करने की शुरुआत इसी अस्पताल से हुई।

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में रहने वाले आशीष कुमार चतुर्वेदी ने गाँव कनेक्शन को फोन पर बताया, "जब मैं कैंसर से पीड़ित अपनी माँ को इलाज के लिए लेकर गया तो लगा कि अस्पताल में मौजूद डॉक्टर को इलाज करना ही नहीं आता था, इसके बाद शक हुआ तो मैंने इसकी असलियत जानने का फैसला किया। पता चला कि मोटी रकम लेकर बड़े पैमाने पर मेडिकल में भर्ती का खेल चल रहा था।"


उसके बाद आरटीआई एक्टिविस्ट आशीष कुमार ने इस पूरे मामले की तह तक जाने की ठान ली। उन्होंने सबसे पहले एक मेडिकल छात्र से दोस्ती की, उसके बाद तार जुड़ते चले गए। "शिक्षा के क्षेत्र के इस महाघोटाले को उजागर करने में मुझे चार साल लगे। वर्ष 2009 से शुरू हुआ भागीरथ प्रयास 2012 में सफल हुआ। इस दौरान कई स्टिंग किए और आरटीआई से जानकारी जुटानी शुरू की," आशीष कुमार ने बताया, "सबसे पहले इस घोटाले में शामिल बड़े माफियाओं को लगा कि मैं उनके लिए काम करूंगा, इसीलिए मैं इतनी गइराई तक पहुंच पाया।"

मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) घोटाले में अब तक कुल 52 लोगों की हत्या हो चुकी है। सीबीआई ने कुल 592 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी।

"यह घोटाला 1995 से शुरू हुआ था जो वर्ष 2003-04 तक अपने चरम पर था। इसमें क्लर्क से लेकर राजनेता और अधिकारी सब नीचे से ऊपर तक शामिल थे," आशीष ने बताया, "जब आरटीआई से यह मामला खुला तो उसके बाद तो मेरा सामाजिक जीवन जैसे खत्म ही हो गया। सरकार ने जिसे सुरक्षा के लिए भेजा उसी से मेरी रिकॉर्डिंग कराई गई। मेरे ऊपर 16 बार जानलेवा हमले किए गए।"

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जब व्यापम घोटाले से जुड़े लोगों की देश भर में लगातार मौतें हो रही थीं, वह आरटीआई एक्टिविस्ट आशीष के लिए सबसे बुरा समय था। "लोग मेरे साथ आना-जाना तो दूर, मिलना-जुलना तक पसंद नहीं करते थे। लोगों को डर था कि कब इन पर हमला हो जाए। एक तरीके से मेरा सोशल मर्डर हो गया था। लेकिन मैंने हार नहीं मानी," आशीष ने बताया, "इसी मामले में निजता का अधिकार का मामला हाईकोर्ट में चल रहा है। मैंने याचिका दायर की है कि सरकार मेरी रिकॉर्डिंग कैसे कर करवा सकती है।"

व्यापम घोटाले में एमबीबीएस की एक-एक सीट के लिए 25 से 30 लाख तक वसूले जा रहे थे। कुछ विशेष विभाग की सीटों के लिए तो करोड़ों रूपये तक वसूले गए। 

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