वित्त मंत्री से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमियों की गुहार: कच्चे माल की कीमत हो नियंत्रित, सीधे मिले मदद और टैक्स स्लैब में हो बदलाव

गांव कनेक्शन ने आम बजट से ग्रामीण भारत की उम्मीदों को लेकर एक सीरीज शुरू की है, ये उसका दूसरा भाग है.. कोविड-19 महामारी के चलते देश का सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम बुरी तरह प्रभावित हुआ है। देश की अर्थव्यस्था में अहम भूमिका निभाने वाला यह क्षेत्र संकट में है। ऐसे में इससे जुड़े व्यापारियों को बजट 2021-22 से काफी उम्मीदे हैं।

Update: 2021-01-25 07:45 GMT
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम बजट से बड़ी उम्मीदें लगाये बैठे हैं। (फोटो- गांव कनेक्शन)

आदरणीय निर्मला सीतारमण जी,

वित्त मंत्री, भारत सरकार

जैसा कि आप जानती हैं साल 2020 पूरी तरह से कोविड-19 महामारी की भेंट चढ़ गया है। हालांकि देश के बड़े कॉरपोरेट ने इस दौरान ख़ूब मुनाफ़ा कमाया है लेकिन छोटी पूंजी वाले व्यापार को कोविड-19 ने मरणासन्न अवस्था में पहुंचा दिया है। देश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहा जाता है। इसलिए अर्थव्यवस्था की रीढ़ को बचाने के लिए ज़रूरी है कि इस बजट में हमारे ऊपर ख़ास ध्यान दिया जाए।

इस क्षेत्र से देश के लगभग 12 करोड़ से ज्यादा लोगों की आजीविका चलती है और देश के सकल घरेलू उत्पाद में हमारा योगदान भी 29% है , बावजूद इसके इस क्षेत्र को हमेशा उपेक्षा की नजर से देखा जाता है। हम बड़े व्यापारी नहीं हैं, हमारे पास बड़ी पूंजी नहीं है। हमारी मदद की जाये तो इस क्षेत्र से न सिर्फ रोजगार सृजन होगा बल्कि देश की अर्थव्यवस्था भी मज़बूत होगी।

लॉकडाउन के समय कई महीनों तक हमारे पास कोई ऑर्डर ही नहीं था। मांग घटने की वजह से हमारे उत्पाद महीनों गोदाम में ही पड़े रहे। अब जब बाजार खुल भी रहे हैं तो मांग बहुत कम है। लॉकडाउन के समय तो खर्च चलाने के लिए हमें मशीनें तक बेचनी पड़ी। कई साथियों ने तो व्यापार ही बदल लिया। किसी ने किराने की दुकान खोल ली तो कोई चाय-पान बेचने लगा।

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सरकार ने हमारे लिए पैकेज का ऐलान तो किया, लेकिन उसका भी फायदा पहुंच रखने वाले और बड़े व्यापारियों को ही मिला। ऐसे में व्यवस्था ऐसी बने कि फायदा छोटे से छोटे व्यापारियों तक पहुंचे।

सीधे मिले मदद

सरकार की एमएसएमई से 25 फीसदी खरीद किए जाने की नीति तो है लेकिन इस नीति का लाभ तुलनात्मक रूप से सक्षम मध्यम श्रेणी की इकाइयों को मिलता है। ऐसे में जरूरी है कि सूक्ष्म और लघु उद्योग पर भी ध्यान दिया जाये। सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता लाए जाने की जरूरत है। लॉकडाउन के समय लोन गारंटी फ्री लोन देने की योजना तो आई, लेकिन हमें डर है कि लोन ले लेंगे तो चुकाएंगे कैसे? ऐसे में इस क्षेत्र को प्रोत्साहन राशि की जरूरत है, सीधे मदद की जरूरत है।

टैक्स स्लैब में बदलाव हो

सूक्ष्म और लघु उद्योगों को उनकी स्थिति के अनुसार मदद मिलनी चाहिए। प्रत्यक्ष कर में 30 फीसदी वाले स्लैब में आने वाले उद्योगों का टैक्स तो घटाकर 20 फीसदी कर तो दिया गया लेकिन उसमें प्राइवेट लिमिटेड को ही रखा गया है। जबकि ज्यादातर छोटे उद्योग प्रोपराइटरशिप या पार्टनरशिप वाले हैं। ऐसे में इस स्लैब में इन्हें भी शामिल कर लिया जाये तो काफी सहूलियत होगी।

कच्चे माल की कीमत नियंत्रित हो

यह उद्योग इस बजट से यह भी चाहता है कि सरकार कच्चे माल पर लगने वाले टैक्स को भी घटाए। प्लास्टिक, रबर, स्टील, एल्युमीनियम, तांबा और कागज के दाम में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। इससे औद्योगिक उत्पादन की लागत काफी बढ़ गई है। इस दिशा में सरकार को ठोस कदम उठाना चाहिए। जिससे उद्योगों को संकट से बचाया जा सके। सरकार को मूल्य नियंत्रण की ओर प्रभावी कदम उठाने चाहिए और इस बजट में इस पर कुछ प्रावधान भी हो। जीएसटी रिफंड भी हमारे हमेशा अटक जाता है। इसे और सुलभ बनाने की जरूरत है।

भवदीय

भारत देश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमी

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