अभी भी जारी है मजदूरों की पैदल यात्रा, महाराष्ट्र से छत्तीसगढ़ के लिए पैदल ही निकल पड़े हैं मजदूर

Update: 2020-05-11 13:52 GMT

कांकेर(छत्तीसगढ़)। लॉकडाउन में काम बंद होने से अलग-अलग राज्यों में काम बंद होने से रह रहे मजदूरों को धैर्य अब टूटता जा रहा है। मजदूर पैदल ही अपने घरों के लिए निकल पड़े हैं।

छत्तीसगढ़ के बस्तर लोहंडीगुड़ा रहने वाले 17 मजदूर महाराष्ट्र के चंद्रपुर से पैदल ही अपने घरों के लिए निकल पड़े हैं। कांकेर पहुंचे मजदूरों ने बताया कि लॉक डाउन के चलते वो महाराष्ट्र के चन्द्रपुर में फंस जाने के चलते चन्द्रपुर से बस्तर लोहंडीगुड़ा पैदल ही निकल पड़े है। मजदूरों ने बताया कि तहसीलदार के पास अनुमति मांगने गए थे हमे सरकारी गाड़ी नहीं चाहिए हमारा ठेकेदार निजी गाड़ी से भेज देंगे बोले थे लेकिन अनुमति नहीं मिलने का कारण पैदल ही निकल पड़े।

ये भी पढ़ें: मजदूरों का दर्द: 'किस भरोसे से गाँव वापस जाएं, दो महीने बाद खाली हाथ घर लौटने की हिम्मत नहीं बची है'

मजदूर तुलाराम बताते हैं, "चन्द्रपुर तीन महीने पहले रेलवे का केबल बिछाने के लिए गए थे। वाह जा के फंस गए ठेकेदार भी मदद नहीं कर रहा था अपने घर लौटना चाह रहे थे सरकार से गुहार लगाए मदद नहीं मिला तो पैदल ही निकल पड़े।"

पैदल जा रहे मजदूरों के पास राशन भी ख़त्म हो गया था कांकेर जिला के सामाजिक कार्यकर्ता अजय मोटवानी ने उन्हें राशन उपलब्ध कराया। अजय मोटवानी ने बताया कि मैंने 5 दिन का राशन उन्हें उपलब्ध कराया है। अभी इन्हें अपने घर पहुंचने में 200 किमी और सफर करना है इनके खाने का व्यवस्था कर दिया गया है।

कोरोना के संक्रमण से मुक्ति को लेकर लॉकडाउन से प्रवासी मजदूरों का हाल बेहाल हो गया है। पिछले डेढ़ महीने से लॉकडान के कारण जो जहां हैं, उसे वहीं रुके रहना है। मजदूरों को भूखों रहने की नौबत आ गई है। ऐसे में प्रवासी मजदूर कहीं पैदल तो कहीं साइकिल से ही अपने-अपने गांव-घर निकल जा रहे हैं।

ये भी पढ़ें: कोरोना : लॉकडाउन से दूसरे राज्यों में फंसे मजदूर कैसे भरेंगे अपना पेट ?

Full View



Similar News