कमाई तो दूर, टमाटर की खेती करने वाले किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही है

अमरोहा जिले में बड़े पैमाने पर टमाटर की खेती होती है, अब जब बाजारें खुल गईं हैं तब भी किसानों को सही दाम नहीं मिल पा रहा है।

Update: 2020-06-22 06:59 GMT

अमरोहा (उत्तर प्रदेश)। हर बार की तरह इस बार भी किसानों टमाटर की फसल लगाई, उन्हें उम्मीद थी की अच्छा मुनाफा हो जाएगा, लेकिन कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन लगने से कमाई तो दूर लागत भी नहीं निकल पा रही है।

उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में बड़े पैमाने पर टमाटर की खेती होती है, अब जब बाजारें खुल गईं हैं तब भी किसानों को सही दाम नहीं मिल पा रहा है। ऐसा सिर्फ अमरोहा अकेले में नहीं हो रहा है, देश भर की मंडियों में किसानों को सब्जियों का सही दाम नहीं मिल पा रहा है।

अपने खेत में टमाटर की तुड़ाई करा रही महिला किसान चैतो कहती हैं, "इस बार तो लाखों का नुकसान हो गया, क्योंकि हर तीसरे-चौथे दिन 13-15 सौ की दवाई लगी है। इसके साथ ही बांस, सुतली का अलग से खर्च लगा। बहुत नुकसान हो गया, इस बार बार ओला बारिश फिर टमाटर बाहर नहीं जा पाया। अब कमाई तो दूर मजदूरी भी नहीं दे पा रहे हैं।"

किसान विजय कुमार बताते हैं, "अमरोहा जनपद में अधिकतर किसान टमाटर की खेती पिछले कई वर्षों से लगातार करते आ रहे हैं। लगभग देखा जाए तो अमरोहा जनपद में 200 हेक्टेयर से अधिक टमाटर की खेती की जाती है सभी किसानों के सामने बड़ी समस्या है टमाटर का मूल्य ना मिलने पर किसान बदहाल है और मजदूरों की मजदूरी भी नहीं निकल पाई आमदनी की बात तो बहुत दूर की है।

ज्यादातर किसानों को लॉकडाउन की वजह से काफी नुकसान का सामना करना पड़ा है। अमरोहा ज़िले में लगभग 200 हेक्टयर में टमाटर की फसल खड़ी है लेकिन एक्पोर्ट नही होने की वजह से टमाटर कौड़ियों के भाव बिक रहा है जिस वजह से किसानों की फसल में लगी लागत भी नही निकल पा रही है।

टमाटर की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि लॉक डाउन लगने की वजह से किसानों अपना टमाटर बाहर नहीं भेज पाए जिसकी वजह से टमाटर खेत में ही खड़ा रहा और गलना शुरू हो गया। किसानों ने बताया कि टमाटर की फसल की धुलाई, रखाई और देखभाल में काफी पैसा खर्च होता है लेकिन इस बार लॉकडाउन लगने की वजह से लागत भी नही निकल पाई है जिस वजह काफी नुकसान का सामना करना पड़ा है।

यहां के किसानों का माल न ही बाहर तक नही जा पाया और ना ही पूरी तरह से मंडियों में बिक सका। टमाटर की खेती करने वाले किसानों से बात करने पर पता चला कि इस बार खर्च के मुकाबले आमदनी ना के बराबर हुई है। हालांकि ज़िला प्रसाशन ने इस पूरे मामले से शासन को अवगत करा दिया है और नुकसान का आकलन भी शुरू हो गया है।

किसान मोहित सैनी बताते हैं कि जनपद व शहर तो खुल गया है टमाटर जाने भी लगा है लेकिन मूल्य से ही नहीं मिल पा रहा ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा भी नहीं निकल रहा है इसलिए किसान टमाटर अपने खेतों से बाहर निकाल कर फेंक रहे हैं क्या करें मजबूर है इस बार तो मजदूरों को मजदूरी भी अगले साल दी जाएगी क्योंकि किसान कि खुद हालत खराब है। 

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