लखनऊ। पूजा (बदला हुआ नाम) जब 15 साल की हुई तो उसका पिता उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने लगा। पत्नी के विरोध करने पर मारता-पीटता। पूजा जब गर्भवती हुई तो उसका गर्भपात करा कर शादी करा दी गई। आज पूजा अपने घर जाना नहीं चाहती।
वहीं, लखनऊ में रहने वाली सुनीता (18 वर्ष, बदला हुआ नाम) का पिछले पांच वर्षों से उसके पिता यौन शोषण कर रहे थे। जब उसने घर में बताया तो माँने आत्महत्या करने की कोशिश की, और पिता का मानसिक संतुलन खराब बताकर इलाज कराना शुरु हो गया।
ऐसे कितने ही मामले आए दिन हमे समाचारों के माध्यम से पता चलते हैं, जहां अपने ही शारीरिक शोषण करते हैं। देशभर में हुए अपराध को दर्ज़ करने वाली संस्था नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार सगे संबंधियों द्वारा दुष्कर्म की घटना में 25.60 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई। इस तरह के अपराधों के बढ़ने का कारण है संयुक्त परिवारों का मिटता वज़ूद।
“परिवार में उत्पीड़न के मामले बढ़ रहे हैं। हाल ही में पांच ऐसे मुकदमे कोर्ट में आए, जिनमें परिवार के लोगों ने इस प्रकार के अपराध किए। चाचा ने अपनी भतीजी का यौन शोषण किया, तो कहीं मामा ने बलात्कार किया।” लखनऊ में फास्ट ट्रैक कोर्ट के अधिवक्ता सुनील यादव बताते हैं।
यही नहीं, परिवार के लोगों के द्वारा होने वाला यौन शोषण बच्चों के साथ ज्यादा होता है। एनसीआरबी के अनुसार वर्ष 2008 से 2014 तक इस तरह के अपराध के मामलों में 400 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है।
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के समाजशास्त्री प्रो. सोहन राम यादव के अनुसार, “वर्तमान समय में परिवार से मौलिक, नैतिकता, मूल्यों व परम्परा व मान्यताओं की क्षति हो रही है। इससे परिवार की परिभाषा बदलने लगी। यही कारण की समाज में अनैतिकता बढ़ी है। जहां पर संयुक्त परिवार हैं, वहां इस प्रकार की घटनाएं कम होती हैं, क्योंकि वहां बड़े-छोटे का दबाव होता है।”
वर्ष 2008 में नाबालिगों के साथ 22,900 मामले दर्ज़ हुए। वर्ष 2009 में 24,201 मामले, वर्ष 2010 में 26,694 मामले दर्ज़ हुए, लेकिन 2011 में बच्चों के साथ होने वाले अपराध में तेजी आई। वर्ष 2011 में 33,098 मामले दर्ज़ हुए, तो 2012 में 38,172 मामले दर्ज किए गए। वर्ष 2013 में 58,224 और 2014 में 89,423 मामले पंजीकृत हुए। सेवा इंडिया फाउंडेशन की अध्यक्ष ज्योती बताती हैं, “महिलाएं अपने खुद के शहर, गाँव या मोहल्ले में सुरक्षित नहीं। महिलाएं अपने घरों के अंदर भी सुरक्षित नहीं हैं।”