घरेलू हिंसा से मुकाबला कर बनी मशहूर फोटोग्राफर

Update: 2016-07-21 05:30 GMT
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लखनऊ। सर्वेश को अपने ऊपर हो रहे हर जुल्म कतई गंवारा नहीं था। खुद को घूंघट में ढक कर ससुराल वालों के जुल्म के खिलाफ जब वे खड़ी हुईं तो उनके अपनों ने भी नहीं साथ दिया। मगर अब कैमरे से दूसरे की खुशियों और गमों को तस्वीरों में उतारने वाली सर्वेश ने हिम्मत नहीं हारी। फोटोग्राफी के जरिये उसने न केवल अपनी जिंदगी संवारी है बल्कि घरेलू हिंसा झेल कर चुप रहने वाली लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा भी बन चुकी हैं।

ससुराल में प्रताड़ना झेल रही सर्वेश को यह बिलकुल भी अंदाजा नहीं था कि भविष्य में वो एक दिन भारत और पकिस्तान के बीच 1999 में हुए कारगिल युद्ध की तस्वीरें खीचेंगी। न केवल फोटोग्राफी बल्कि उन्होंने पर्वतारोहण में भी नाम किया।

मूलरूप से अलीगढ़ के परिवार की दिल्ली में पली-बढ़ी सर्वेश (58 वर्ष) ने बताया कि वे शादी के 12 साल तक ससुराल वालों का जुल्म सहती रही। बच्चे को जन्म न दे पाने की वजह से ये जुल्म और ज्यादा बढ़ गये। परिवार और सामाजिक बन्धनों की मर्यादा उन्होंने 12 वर्षों तक रखी। 

शादी 1975 में 17 साल की उम्र में हुई थी। 11 वीं कक्षा में पढ़ाई के दौरान ही उनके माता-पिता ने 25 साल के एक लड़के के साथ उनका रिश्ता हरियाणा के एक परिवार में कर दिया था।

उनका कहना है कि एक महीने बाद ही ससुराल वालों ने जुल्म ढाना शुरू कर दिया। सर्वेश बताती हैं कि माँ-बाप का कहना था कि शादी के बाद ससुराल से बेटी की अर्थी ही निकलती है। इसलिए उन्होंने पति का शराब पीना और मारना-पीटना बर्दाश्त किया।

बच्चे न होने की वजह से ससुराल वालों के रोज ताने सुनने पड़ते| पति दूसरी शादी करना चाहता था, जो मुझे मंजूर नहीं था। इस बात को लेकर वो मुझे छोटी-छोटी बात पर मारते पीटते रहते। सन 1988 में एक दिन उन्होंने मुझे अपने घर से ही निकाल दिया। मायके वालों ने भी साथ नहीं दिया। उस मुसीबत के वक़्त में सहेली संस्था नाम के एक एनजीओ ने मुझे शरण दी।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

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