नवाबी रसोई में ईजाद हुई थी लखनऊ की मशहूर शीरमाल रोटी, आप भी इसका स्वाद ज़रूर चखिएगा

आप यूपी की राजधानी लखनऊ आते हैं तो यहाँ की मशहूर शीरमाल रोटी का स्वाद ज़रूर लीजिएगा, चलिए आज आपको लिए चलते हैं लगभग 193 साल पुरानी दुकान, जहाँ की शीरमाल का स्वाद पूरी दुनिया में फैला है।

Update: 2023-08-19 12:57 GMT

अपने स्वादिष्ट व्यंजनों के लिए मशहूर अवध में रोटियों का भी अलग इतिहास रहा है, पुराने लखनऊ के नक्खास में तो एक पूरी गली में आपको सिर्फ तरह-तरह की रोटियाँ ही बनते दिखेंगी। वैसे ही यहाँ पर मशहूर है शीरमाल, जोकि अभी भी किसी भी मुगलई दस्तरख़्वान का एक ज़रूरी हिस्सा है।

लखनऊ के शीरमाल वाली गली में ‘अली हुसैन शीरमाल’ नाम की दुकान पर साल 1830 से शीरमाल बनता आ रहा है। यहाँ पर दूर से ही ख़ुशबू आने लगती है। इस समय इस दुकान को परिवार की छठी पीढ़ी में मोहम्मद उमर चला रहे हैं। मोहम्मद उमर पिछले 35 बरस से लखनऊ के लोगों को अपने हाथों की बनी शीरमाल का स्वाद चखा रहे हैं।


आखिर शीरमाल इतना क्यों पसंद किया जाता है के सवाल पर मोहम्मद उमर गाँव कनेक्शन से बताते हैं, "शीरमाल को नेशनल रोटी के नाम से भी जाना जाता हैं, दुनिया में हिन्दुस्तान का जहाँ भी व्यक्ति है, ख़ास करके अगर वो लखनऊ का है, वो जब भी लखनऊ आता है, यहाँ से शीरमाल ज़रूर लेकर जाता है।"

शीरमाल में मैदा, दूध, घी, इलायची, तरह-तरह के ड्राई फ्रूट्स डाले जाते हैं, जैसे-जैसे इसका दाम बढ़ता जाएगा, वैसे ही स्वाद भी बढ़ता जाता है। आमतौर पर इसे निहारी या सालन के साथ खाया जाता है, लेकिन अगर कबाब के साथ खाएँगे तो कबाब का स्वाद और बढ़ जाएगा।


मोहम्मद उमर आगे बताते हैं, "1830 में इस दुकान की शुरुआत मोहम्मद जानशीन अली हुसैन साहब ने किया था।" वो आगे कहते हैं, "जैसे हम घर में रोटी बनाते हैं, आटे को पानी में गूंथ लेते हैं, लेकिन इसे दूध में गूंथा जाता है और तरह-तरह की खुशबुएँ पड़ती हैं, जिससे इसका स्वाद और बढ़ जाता है।"

शीरमाल के नाम से जुड़े किस्से के बारे में मोहम्मद उमर कहते हैं, "जब बादशाह के पास रोटियाँ लेकर गए तो उन्होंने उसे चीर दी, बस उन्होंने कह दिया कि अब इसे चीरकर ही बनाया जाए, फिर अब बादशाह ने कह दिया तो इसका नाम चीरमाल हो गया, बाद में इसी का नाम शीरमाल पड़ गया, क्योंकि इसमें शक्कर भी पड़ता है।"


लखनऊ के बारे में कहा जाता है कि अगर महफिल में शीरमाल न हो तो वो महफिल किसी काम की नहीं, इसके बिना महफिल अधूरी ही रह जाएगी। "पूरी दुनिया में हमारे यहाँ से शीरमाल जाती है, अब वो चाहे इंग्लैंड हो, सऊदी अरब या फिर कोई और देश, बॉम्बे तो हमारे यहाँ से रोज़ ही शीरमाल जाती है," उमर ने आगे कहा।"

अब आप जब भी लखनऊ आते हैं तो चौक की पुरानी गलियों का चक्कर ज़रूर लगा लीजिएगा, और यहाँ की शीरमाल खाकर बताइएगा कि आपको इसका स्वाद कैसा लगा।

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