गेहूं की फसल पर मंडरा रहा कपास के कीट का संकट, पश्चिमी यूपी में लग रहा ‘जड़ माहू’

Update: 2017-01-12 14:46 GMT
पश्चिमी यूपी में कई किसानों ने की जड़ों में माहू जैसा रोग लगने की शिकायत। 

लखनऊ/सीतापुर। बारिश की फुहार और ठीक-ठाक ठंड से किसान गेहूं की अच्छी पैदावार होने की उम्मीद लगा रहे हैं, लेकिन इस बार यूपी के कई जिलों में गेहूं की फसल में एक ऐसे कीट का प्रकोप बढ़ा है जो आज-तक कपास के किसानों का दुश्मन था। वैज्ञानिक इसे 'जड़ माहू' कीट बता रहे हैं।

बरेली जिले के बहेड़ी तहसील के चटिया गाँव के रहने वाले किसान (45 वर्ष) अमरकांत ने इस बार 12 हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई की है। उनके लगभग तीन एकड़ गेहूं की फसल में कीट लग गए हैं। अमरकांत बताते हैं, "इस बार शुरु से तो फसल बहुत अच्छी थी, लेकिन लगभग तीन एकड़ फसल के पौधे पीले पड़ने लगे हैं। हम लोग वैसे तो इतनी जानकारी रखते हैं कि कौन सा रोग और कीट लगे हैं, ये माहू की तरह ही है, लेकिन जड़ों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।"

इस नए रोग का प्रकोप सिर्फ अमरकांत की फसल में नहीं है, बल्कि बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर के सैकड़ों किसानों की गेहूं की फसल पर है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश गेहूं की खेती के लिए जाना जाता है। यहां गेहूं का अच्छा उत्पादन भी होता है। इन जिलों के किसान किसान हेल्प लाइन को इस कीट के प्रकोप के बारे में बता रहे हैं।

इसके प्रकोप से गेहूं के पौधे पीले हो जा रहे हैं, ग्रसित पौधों को उखाड़ने पर उसकी जड़ों में भूरे रंग के माहू दिखायी देते हैं। जड़ माहू का प्रकोप सबसे ज्यादा कपास की फसल में होता है, लेकिन ये गेहूं में नहीं दिखायी देता है। मध्य प्रदेश से यहां पर गेहूं के बीज आते हैं, इसी वजह से ये कीट भी गेहूं की फसल में दिखाई दे रहे हैं।
डॉ. राधाकांत, कृषि विशेषज्ञ, किसान हेल्पलाइन

जड़ माहू छोटे आकार के कीट होते हैं जो पौधों का रस चूसते हैं। मटर, सरसो जैसी फसलों के सर्वाधिक विनाशकारी शत्रु हैं (जैसे सरसों पर लगने वाली माहू या चेपा या 'तेले' या 'लाही' कीट)। कपास की फसल में लगने वाला रोग है यह चना मटर और सोयाबीन की फसल में भी कभी-कभी सक्रिय हो जाता है।

कृषि विज्ञान केन्द्र, बरेली के कृषि विशेषज्ञ राकेश पांडेय इसके बारे में बताते हैं, ‘अगर इन कीटों का प्रकोप जड़ों में हो तो 3.50 किग्रा क्लोरपायरीफॉस को बालू में मिलाकर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिड़ककर खेत में सिंचाई कर दें। अगर इस कीट का प्रकोप तनों में हो तो तीन मिली. इमिडाक्लोप्रिड को प्रति एकड़ की दर से फसल में स्प्रे करें।’

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