शहद के निर्यात पर असर डालेगी जीएम सरसों

Update: 2017-06-04 15:23 GMT
सरसाें की फसल

नई दिल्ली (भाषा)। भारत में अगर जीन संवर्धित (जीएम) सरसों की वाणिज्यिक खेती को अनुमति दी गई तो भारत में सरसों के फूल से तैयार होने वाले शहद का निर्यात बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है क्योंकि जीएम सरसों की खेती, शहद उद्योग के लिए काफी नुकसानदेह है।

वैश्विक बाजारों में मधुमक्खियों के द्वारा देश में सरसों फूल के रस से तैयार किये जाने वाले शहद की भारी मांग है। सरसों के खेत के आसपास तैयार होने वाले शहद की लगभग पूरी की पूरी मात्रा का निर्यात हो जाता है और इसे निर्यात क्वॉलिटी का शहद माना जाता है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार ऐसे शहद का सालाना लगभग 40,000 टन का उत्पादन होता है तथा इसका निर्यात मुख्यत: अमेरिका और यूरोप में किया जाता है।

मधुमक्खियों का छ्त्ता, जिसमें प्राकृतिक रुप से शहद बनता है।

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मधुमक्खीपालन क्षेत्र के विशेषज्ञ और राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड के पूर्व कार्यकारी निदेशक योगेश्वर सिंह ने बताया, ‘‘जीएम सरसों के कारण मधुमक्खियों के द्वारा किया जाने वाला पुष्परस (नेक्टर) और पोलन (परागकण) का संग्रहण प्रभावित होगा। इसके कारण सर्वाधिक निर्यात मांग वाले सरसों फूल से तैयार शहद की मात्रा घटेगी और निर्यात में भारी कमी आयेगी।''

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स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सहसंयोजक अश्विनी महाजन ने कहा, ‘‘यह भारत के बाकी निर्यात को भी प्रभावित करेगा क्योंकि मधुमक्खी के जरिये होने वाले पर परागण का प्रभाव तो आसपास के खेतों में भी फैलेगा। ऐसे में अमेरिका और यूरोपीय संघ के देशा में जो गैर जीएम फसल आयात करने का सख्त मानदंड हैं अथवा उनकी जो गैर जीएम फसल प्रमाणन की आवश्यकता होती है, वह बाकी उत्पादों के लिए भी नहीं लिया जा सकेगा। इसलिए न सिर्फ शहद बल्कि कई अन्य वस्तुओं के भी निर्यात प्रभावित होंगे। साथ ही, इस उद्योग से जुडे लाखों किसान भी प्रभावित होंगे।''

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