काहू की खेती से किसान कमा रहे मुनाफा 

Update: 2017-05-29 22:19 GMT
जिले के किसानों ने काहू की खेती को प्रथमिकता देने लगे हैं।

बाराबंकी। बेलहरा बाराबंकी काहू की फसल का अच्छा बाजार मूल्य होने के कारण जिले के किसानों ने काहू की खेती को प्रथमिकता देने लगे हैं। बाराबंकी के कई ब्लॉकों में काहू की खेती बृहद स्तर पर होने लगी है।

खेती किसानी से जुड़ी सभी बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करके इंस्टॉल करें गाँव कनेक्शन एप

जिला मुख्यालय से 35 किमी उत्तर विकास खण्ड फतेहपुर कस्बा बेलहरा के किसान दीपचन्द मौर्या (45 वर्षीय) कहते हैं, ‘हम आलू और काहू की सहफसली खेती करते हैं।’

वो आगे बताते हैं, ‘काहू की नर्सरी अक्टूबर माह में करते हैं और एक माह बाद आलू की नालियों में काहू की रोपाई कर देते हैं। आलू की सिंचाई के साथ काहू की भी सिंचाई होती रहती है। आलू की खुदाई के बाद अप्रैल माह में इसकी कटाई की जाती है और धूप मे डाल कर सुखाकर पिटाई की जाती है। सफाई करके कई वर्षों तक इसका भण्डारण किया जा सकता है।’

एक एकड़ मे अच्छी फसल होने पर ढाई से तीन कुन्तल तक उत्पादन होने की उम्मीद रहती है। पिछले वर्ष 60 हजार से 70 हजार प्रति कुंतल की दर से काहू बिका था। आलू और काहू की सहफसल होने के कारण इसमे लागत भी बहुत कम आती है।

वहीं सूरतगंज विकास खण्ड के मोहम्मद नसीम( 50 वर्षीय) कहते हैं, ‘हम तो अक्टूबर के महीने में काहू की खेती धनिया व मगरैल (कलौजी) के साथ करते हैं। इसका बीज 250 ग्राम प्रति एकड़ लगता है धनिया और मगरैल की कटाई फरवरी माह के अन्त मे हो जाती है। काहू की फसल का विकास चालू हो जाता है। एक एकड़ में लगभग 32000 पौधों की रोपाई की जाती है।’

जिला उद्यान विभाग के सहायक अधिकारी अनील श्रीवास्तव बताते हैं, ‘काहू की फसल का मेडिसिन में अच्छा यूज होता है। इसके बीज के साथ पत्तियों का भी इस्तेमाल किया जाता है। पहले बाराबंकी जिले रामनगर विकास खण्ड में काहू की खेती होती थी। इस वर्ष रामनगर के साथ-साथ सूरतगंज फतेहपुर जैसे ब्लॉकों मे 40 से 50 एकड़ क्षेत्रफल में काहू की खेती की जा रही है।’

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

Similar News