पढ़िए 'किसान चाची' की कहानी, जिन्हें मिला पद्मश्री सम्मान

Update: 2019-03-11 08:30 GMT
दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे ट्रेड फेयर में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के सरैया की रहने वाली राजकुमारी देवी ने लगाया है स्टॉल।

नई दिल्ली। दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे ट्रेड फेयर में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के सरैया की रहने वाली राजकुमारी देवी के स्टॉल पर लोगों की भीड़ लगी हुई है। सभी उनके हाथों से बने आचार और मुरब्बे लेने की लिए लाइन में लगे हैं। ट्रेड फेयर में जिसे भी 'किसान चाची' के बारे में पता चल रहा है, उनके स्टॉल का एक चक्कर जरूर लगा रहे हैं।

जैविक खेती करने के लिए करती हैं प्रेरित

दरअसल, आचार और मुरब्बे का स्टॉल लगाने वाली राजकुमारी देवी कोई और नहीं, बल्कि बिहार की 'किसान चाची' हैं, जो गाँव-गाँव साइकिल से घूमकर महिलाओं को उत्थान और शिक्षा के साथ ही जैविक तरीके से खेती करने के लिए प्रेरित करती हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, गाँव-गाँव जाकर महिलाओं को अपने फसल के उत्पाद को प्रसंस्कृत करके बाजार में ले जाकर बेचने के लिए प्रशिक्षण भी देती हैं।

अब सीधे बाजार में नहीं बेचती

किसान चाची राजकुमारी देवी पहले अपने खेत की उपज सीधे बाजार में बेचती थीं, लेकिन अब वो ऐसा नहीं करतीं। अपने खेत में पैदा होने वाले ओल को वो सीधे बाजार में बेचने की बजाय अब उसका आचार और आटा बनाकर बेचती हैं।

आज अच्छा लगता है

प्रगति मैदान में लगे ट्रेड फेयर में किसान चाची ने बताया, "मेरा यहां तक पहुंचने का सफर बेहद मुश्किल भरा था। घर से लेकर समाज में भी बहुत लड़ाई लड़नी पड़ी, लेकिन आज अच्छा लगता है, जब सब मुझे किसान चाची कहकर बुलाते हैं।''

बिना तारीफ किए नहीं रह सकता

ट्रेड फेयर में आई किसान चाची को यहां अच्छी आमदनी से ज्यादा सामान्य लोगों तक कम लागत में घर का बना आचार खिलाने का मौका मिला है। एक बार 'किसान चाची' का बनाया हुआ आचार जिसने भी चख लिया वो बिना तारीफ किए नहीं रह सकता।

प्रधानमंत्री ने भी किया सम्मानित

किसान चाची को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सम्मानित कर चुके हैं। छोटे से गाँव से इस मुकाम तक पहुंची किसान चाची एक मिसाल हैं। उन्होंने ये साबित कर दिया कि कोई भी कड़ी मेहनत और लगन से कुछ भी हासिल कर सकता है।

उस दिन किसान का परिवार खुशहाल हो जाएगा

किसान चाची बताती हैं, "खेती किसानी में महिलाएं पुरुषों से अधिक काम करती हैं। इसके बाद भी सरकार की तरफ से महिलाओं को किसान का दर्जा नहीं मिलता है। सरकार की तरफ से जो भी योजनाएं चलाई जाती हैं, खेती की जमीन महिलाओं के नाम न होने के कारण महिलाओं को इसका लाभ नहीं मिल पाता है।" उन्होंने आगे कहा, "सरकार को महिला किसानों के दुःख और दर्द को समझते हुए उनके कल्याण के लिए कई काम करने की जरूरत है, जिस दिन महिला किसान समृद्ध हो गई, उस दिन किसान का परिवार खुशहाल हो जाएगा।"

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