सनस्ट्रोक से पशुओं में होती है कई तरह की बीमारी

Update: 2017-04-20 13:28 GMT
अधिक गर्मी में पशुओं का रखे ध्यान।

स्वयं प्रॉजेक्ट डेस्क

सुल्तानपुर। अधिक गर्मी के कारण पशुओं में सनस्ट्रोक बीमारी का खतरा बढ़ गया है। सनस्ट्रोक बीमारी के बढ़ने से जहां एकतरफ पशुओं की त्वचा में सिकुड़न आ रही है। वहीं दूसरी ओर पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता भी घट रही है।

सुल्तानपुर जिले के लंभुआ ब्लॉक के मुरली गाँव के पशुपालक आशीष मिश्रा (32 वर्ष) के पास 20 पशु हैं। मुरली बताते हैं, “गर्मी में हम अपने जानवरों की अच्छी देखभाल करते हैं, इसके बावजूद हमारी एक-दो गायों में थन के पास खाल सिकुड़ने से दूध देने की क्षमता भी घट गई है।”

खेती किसानी से जुड़ी सभी बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करके इंस्टॉल करें गाँव कनेक्शन एप

गर्मी के मौसम में हवा के गर्म थपेड़ों और बढ़े हुए तापमान से पशुओं में लू लगने का खतरा बढ़ जाता है। अधिक समय तक धूप में रहने पर पशुओं को सनस्ट्रोक बीमारी हो सकती है।उत्तर प्रदेश में इस समय तेज धूप से गर्मी में इजाफा हुआ है। मौसम विभाग ने प्रदेश में जून तक मानसून आने का अनुमान भी जताया है।

अगर पशु ज्यादा समय तक खुली धूप के संपर्क में रहता है, तो वह सनस्ट्रोक बीमारी की चपेट में आसानी से आ सकता है। इस बीमारी के कारण पशु के आंखों में लालपन हो जाता है और पतला मल त्याग करने लगता है।
डॉ. अजीत कुमार सिंह, जिला पशुचिकित्सा अधिकारी

तपती गर्मी में पशुओं को राहत दिलाने के लिए सुल्तानपुर जिले में गाँवों में छोटे तालाबों और पोखरों को पुनः जीवित करने के लिए एक खास पहल की जा रही है। इस पहल के बारे में जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने बताया, “जिन गाँवों में छोटे तालाब सूखे पड़े हैं, वहां पर हम निजी पम्प धारकों और ट्यूबवेल मालिकों के माध्यम से उनमें जल भरवा रहे हैं, जिससे इन तालाबों का इस्तेमाल छोटे किसानों के साथ-साथ लघु पशुपालक भी कर सकें।”

सनस्ट्रोक रोग के लक्षण

  • पशुओं की खाल सिकुड़ना
  • नाक का सूखना।
  • तेज बुखार।
  • चारा न खाना।
  • आंख का लाल होना।
  • पतला दस्त आना।
  • मुंह के आसपास झाग आ जाना।

कैसे करें रोकथाम

  • पशु को धूप में बिल्कुल भी न बांधें। लू की चपेट में आने पर पशु को तुरंत पशु चिकित्सक को दिखाएं।
  • जिस जगह भी पशुओं को रखें उस जगह हवा को आने-जाने के लिए जगह मिले और शेड खुला हवादार हो।
  • पशुपालकों को अपने पशुओं को रोज कम से कम दो बार नहलाना चाहिए। दो से ज्यादा बार न नहलाएं नहीं तो पशु बुखार की चपेट में आ सकता है।
  • ज्यादा देर तक रखा हुआ पानी पशुओं को न पिलाएं।

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

Similar News