मूंग और उड़द पर पीले मोजैक रोग का खतरा

Update: 2017-04-17 19:55 GMT
उड़द की फसल।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के दलहन उत्पादन में मूंग और उड़द जैसी फसलों का बहुत योगदान है। प्रोटीन की प्रचुर मात्रा के कारण अरहर के बाद इनकी दालों की सबसे ज्यादा मांग होती है। मौजूदा जायद सीजन में प्रदेश में मूंग की 50678 हेक्टेयर में और उड़द की 50942 हेक्टेयर में बुवाई हुई है। फसल अभी अच्छी स्थिति में हैं, लेकिन इसपर पीले मोजैक रोग का खतरा मंडराने लगा है। उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद की क्राप वेदर वाच ग्रुप ने चेतावनी जारी की है कि अप्रैल के अंतिम सप्ताह में इस रोग का प्रकोप तेजी से बढ़ता है।

इस बार भी ऐसे संकेत मिल रहे हैं। इसको देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को अभी से इसके नियंत्रण के लिए निर्देश जारी कर दिए हैं। भारतीय दलहन अुनंसधान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. आईपी सिंह ने बताया '' मूंग और उड़द में पीले मोजैक रोग का विषाणु सफेद मक्खी के जरिए फैलता है। इसके कीट पत्तियों और फलों के रस चूसकर उसे सूखा देते हैं। जिससे फसल बर्बाद हो जाती है।''

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उन्होंने बताया कि मूंग व उड़द के जिस खेत में इसका लक्षण दिखे किसान उस पौधे को उखाड़कर जला देवें या गड्ढे में डालकर नष्ट करें। इसके साथ ही इमिडाक्लोरोपिड 250 मिली लीटर को प्रति हेक्टेयर में 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

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खेत में अगर 5 से लेकर 10 सफेद मक्खी समूह में दिखे तो मिथाइल ओ-डिमेटान 25 प्रतिशत ईसी को एक लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड‍़काव करें। आपको बता दें कि प्रदेश में मूंग की सबसे ज्यादा बुवाई अलीगढ़, आगरा, इलाहाबाद और वाराणसी मंडल में की गई है। वहीं उड़द फसल की सबसे ज्यादा बुवाई इलाहाबाद, कानपुर, अलीगढ़ और आगरा मंडल में है। प्रदेश में पिछले साल 34274 मीटि्क टन मूंग और 23591 मीट्रिक टन उड़द पैदा हुआ था।

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