रायबरेली में जल संकट के कारण पलायन कर रहे लोग

Update: 2017-04-20 17:29 GMT
सूखे पड़े हैड़पम्प।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

रायबरेली। रायबरेली मुख्यालय से 40 किलोमीटर पश्चिम दिशा में स्थित सरैनी ब्लाक भयंकर जल संकट से जूझ रहा है यहां की नहरों में पिछले 25 साल से पानी नहीं आया है। क्षेत्र के तालाब सूखे पड़े हैं और हैड़पम्प से पानी की एक बूंद भी नहीं टपक रही है। सरेनी की 81 ग्राम पंचायतें पेजयल की समस्या से जूझ रही हैं।

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सरेनी के पूर्व प्रधान बच्चा सिंह (38) बताते हैं, ‘पांच वर्ष पहले सरेनी क्षेत्र को डार्क जोन घोषित किया गया था। लेकिन इस संकट से उबरने की कोई योजना नहीं बनाई गई, जिससे हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं।’दुधवन निवासी संतोष वर्मा (45वर्ष) कहते हैं, ‘पानी के संकट के कारण ही इस क्षेत्र से लोग पलायन कर रहे हैं। जल संकट इतना गहरा है कि क्षेत्र छोड़कर जाने के सिवाय कोई रास्ता नहीं है।’

भोजपुर निवासी किसान नेता रामकुमार कुशवाहा (55) समस्या के बारे में विस्तार से बताते हैं, 1997 से ही यहां की नहरों में पानी नहीं आया है। किसानों ने वर्ष 2005 से 2010 के बीच सिंचाई की समस्या से छुटकारा पाने के लिये खेतों के बीच समरसेबिल पम्प लगवा लिए, जिससे पानी का भरपूर दोहन हुआ और जल स्तर लगातार नीचे जाता रहा। पांच वर्ष पूर्व क्षेत्र को डार्क एरिया घोषित कर दिया गया। सिंचाई के लिए नलकूप पर रोक लगा दी गई। बावजूद इसके लोग अपने घरों में जेट पम्प लगावाते रहे, जिससे जल स्तर ऊपर आने की जगह नीचे गिरता रहा है।

सूख चुके हैं तालाब

वहीं तालाबों में भी पानी नहीं है। तालाब सूखे होने के कारण मवेसी भी प्यासे भटक रहे हैं । रात को आवारा मवेसी पानी की तालाश में आबादी के घरों में घुस आते हैं, जिससे इस गर्मी में लोग दरवाजे के बाहर खुले में लेटने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। इसके साथ ही सरेनी में हैड़पम्प सूखे पड़े हैं। प्यास से बेहाल क्षेत्रवासी इस जल संकट से उबरने के लिये सरकार की तरफ आस भरी नजरों से देख रहे हैं।

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