बिहार में आधुनिक खेती का पाठ पढ़ा रहा है ये युवा किसान

बिहार के औरंगाबाद में एक युवा किसानों को नई -नई जानकारियाँ देता है; कब किसे कौन सी फसल लगानी चाहिए, किसकी खेती से ज़्यादा मुनाफा होगा जैसे हर सवालों के जवाब इनसे मिल जाते हैं।

Update: 2023-10-28 10:57 GMT

जिस उम्र में ज़्यादातर युवा अपना करियर बनाने में व्यस्त रहते हैं, उसी उम्र में 25 साल के मनीष कुमार अपने आसपास के किसानों को खेती की नई तरकीबें बताने में व्यस्त हैं।

कृषि स्नातक मनीष कुमार बिहार के औरंगाबाद जिले के शंकरपुर गाँव के रहने वाले हैं। मनीष गाँव कनेक्शन से बताते हैं, "मैंने अपने पिता जी को खेती करते हुए देखा था, लेकिन मैं हमेशा से इसे एक व्यवसाय की तरह देखता था और इसी में कुछ नया करना चाहता था।"

एग्रीकल्चर से बीएससी करने के दौरान मनीष को प्राकृतिक खेती, बंजर ज़मीन को उपजाऊ बनाकर खेती करने के तरीके और साथ ही कई फसलों की जानकारी हुई, जिसकी खेती उनके यहाँ नहीं होती थी।


मनीष आगे बताते हैं, "ओडिशा के सेंचुरियन यूनिवर्सिटी से बीएससी कर रहा था, एक बार फार्म विजिट पर गया था; वहाँ पर मैंने देखा कि बंजर ज़मीन पर जड़ी-बूटियों की खेती करके पैसे कमाए जा रहे हैं। हमारे पास भी बंजर ज़मीन है और हम उसपर खेती नहीं कर पा रहे हैं तो क्यों न कोई स्कोप निकाला जाए जिससे हम भी खेती कर पाएँ।"

इसके बाद मनीष अपने यहाँ के कृषि विज्ञान केंद्र के साइंटिस्ट से मिले तो उन्होंने बताया कि बंजर ज़मीन पर भी खेती कर सकते हैं। मनीष कहते हैं, "साइंटिस्ट से मिलने के बाद हम किसानों के पास गए और उन्हें समझाया कि वो बंजर ज़मीन पर भी खेती कर सकते हैं। हमने केवीके के साइंटिस्ट से कहा कि हमारे साथ गाँव में किसानों के साथ मिलने चलिए और उन्हें ट्रेनिंग दीजिए।"

मनीष के यहाँ मगही पान की खेती होती है, वहाँ पर जाकर किसानों को जोड़कर फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी बनाकर उन्हें ट्रेनिंग देनी शुरू की, अब वो अच्छी खेती कर रहे हैं और आने वाले समय में पान से तेल निकालने का भी काम किया जाएगा।


मनीष ने जुलाई 2018 में औरंगाबाद में उत्कर्ष जैविक कृषि संस्थान ट्रस्ट की शुरुआत की थी, जिसकी ब्रांच औरंगाबाद के साथ ही कई जिलों में है। उनसे 350 किसान जुड़े हुए हैं, जिन्हें समय-समय पर उनकी टीम गाइड करती रहती है। उन्होंने किसान साथियों के लिए व्हाट्सएप ग्रुप बनाया है, जिसमें किसानों को नई जानकारी मिलती रहती है। साथ ही महीने में एक बार उनको ट्रेनिंग भी दी जाती है।

मनीष से बिहार के किसानों के साथ ही झारखंड के दो और मध्य प्रदेश के दो जिलों के किसान जुड़े हुए हैं। आज उनसे जुड़े किसान स्ट्रॉबेरी, मशरूम, ब्लैक राइस जैसी फसलों की खेती कर रहे हैं।

मध्य प्रदेश के 28 साल के किसान विकास भी मनीष से साल 2022 से जुड़े हुए हैं और अभी उन्होंने मशरूम की खेती शुरू की है। विकास गाँव कनेक्शन से बताते हैं, "मेरे पिता कई साल से मशरूम की खेती कर रहे हैं, लेकिन मनीष से जुड़ने के बाद मुझे पता चला कि बिना किसी केमिकल के भी मशरूम की खेती की जा सकती है।"

वो आगे कहते हैं, "अब मैं भी केमिकल फ्री खेती करता हूँ, पहले एक हज़ार वर्ग फीट कमरे में खेती की लागत डेढ़ लाख आती थी, लेकिन अब एक लाख में काम हो जाता है। एक सीजन में चार-पाँच लाख की बचत हो जाती है।"


उत्कर्ष जैविक कृषि संस्थान ट्रस्ट से स्वयं सहायता समूह की महिलाएँ भी जुड़ी हुई हैं, जो तुलसी, मोरिंगा की पत्तियों को सुखाकर उनसे पाउडर बनाती हैं, जिससे उन्हें घर बैठे रोज़गार मिल रहा है।

बिहार के गया ज़िले के 36 वर्षीय किसान बलजीत कुमार साल 2001 से खेती से जुड़े हुए हैं, पहले वो भी दूसरे किसानों की तरह ही पुरानी विधि से खेती किया करते थे, लेकिन मनीष के साथ जुड़ने के बाद ब्लैक राइस, तुलसी जैसी फसलों की खेती करते हैं।

बलजीत गाँव कनेक्शन से बताते हैं, "पहले हम परंपरागत तरीके से खेती करते थे, लेकिन मनीष से मिलने के बाद काफी नई चीजें पता चलीं, अब मैं ब्लैक राइस की खेती करता हूँ, शुरुआत में 50 से 60 रुपए किलो में चावल बिक जाता था। अब 80 से 90 रुपए किलो तक बिक जाता है। हमारे साथ 15 किसान जुड़े हुए हैं, हम खुद से ही खाद तैयार करते हैं, जिससे लागत काफी कम हो जाती है।"\

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