कश्मीर के 'स्ट्रॉबेरी विलेज' में टूटता किसानों का सपना

गासू को कश्मीर के स्ट्राबेरी गाँव के रूप में जाना जाता है, यहाँ एक हज़ार से अधिक परिवार इसकी ख़ेती करते हैं। लेकिन अप्रैल, मई में आँधी और ओला गिरने से इस बार फ़सल चौपट हो गई है।

Update: 2023-05-30 13:23 GMT

गासू (श्रीनगर), कश्मीर। बर्फ से ढकी खूबसूरत चोटियों और वादियों से घिरे गासू गाँव में इस साल उसकी पहचान चटख लाल स्ट्रॉबेरी गायब है।

महज तीन महीनों में एक फ़सल से लखपति बनने का ख़्वाब पूरा करने वाले इस फ़ल ने कई किसानों का दिल तोड़ दिया है।

श्रीनगर के बाहरी इलाके में स्थित गासू गाँव की विशेषता इसके फलों के बाग और स्ट्रॉबेरी के खेत हैं। लेकिन मौसम की मार से इस बार यहाँ हालात बदले हुए हैं।

अली मोहम्मद और उनकी पत्नी सारा बेगम इस गाँव में स्ट्रॉबेरी के छोटे किसान हैं। अप्रैल और मई के आख़िर के बीच फ़सल के मौसम के दौरान, वे दो कनाल (0.25 एकड़) के अपने स्ट्रॉबेरी के खेत की तरफ बढ़ते हैं और स्ट्रॉबेरी को तोड़ने का नाजुक काम शुरू करते हैं।


उन्हीं की तरह गासू में एक हज़ार परिवार स्ट्रॉबेरी की ख़ेती से जुड़े हैं। लेकिन इस साल, मोहम्मद जैसे स्ट्रॉबेरी किसानों को कम उत्पादन का सामना करना पड़ा रहा है।

स्ट्रॉबेरी किसानों की शिकायत है कि मार्च और अप्रैल में बेमौसम भारी बारिश ने स्ट्रॉबेरी को काफी नुकसान पहुँचाया है।

“हमें लगभग 30 प्रतिशत नुकसान हुआ है,” गासू के अनुभवी स्ट्रॉबेरी उत्पादक 60 साल के हमीद मीर ने शिकायत की। उन्होंने कहा, "जब किसान बंपर फ़सल की उम्मीद कर रहे थे, तभी बेमौसम बारिश ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।"

मौसम विभाग भी मानता है कि मार्च और अप्रैल में आँधी और ओलावृष्टि ने स्ट्रॉबेरी की ख़ेती को नुकसान पहुँचाया है।

मौसम विभाग, श्रीनगर के निदेशक सोनम लोटस ने गाँव कनेक्शन को बताया, "इस साल, हमने लगातार पश्चिमी विक्षोभ के साथ एक असामान्य पैटर्न का अनुभव किया है, जिसके कारण अप्रैल और मई के पहले दस दिनों में सामान्य से अधिक बारिश हुई है।"

अधिकारी ने कहा, "श्रीनगर और काजीगुंड में मार्च में 146 मिमी और 167 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य से 91 मिमी और 116 मिमी से कहीं अधिक है।"

कश्मीर का स्ट्राबेरी गाँव

“अपनी अनुकूल जलवायु के कारण, गासू स्ट्रॉबेरी के ख़ेती के लिए एक आदर्श स्थान रहा है। हालाँकि उत्तर में तंगमर्ग और दक्षिण कश्मीर के कुछ क्षेत्रों में भी स्ट्रॉबेरी की ख़ेती की जाती है, गासू के फल को इसके बड़े आकार, स्वाद के लिए पहचाना जाता ह। " गासू में 27 साल के किसान अकीब ने गाँव कनेक्शन को बताया।

“मैं कई वर्षों से स्ट्रॉबेरी की ख़ेती कर रहा हूँ, मैंने देखा है कि इससे हमारे गाँव में क्या बदलाव आया है। ” गासू गाँव के एक प्रमुख स्ट्रॉबेरी किसान मंजूर अहमद ने कहा।

उनके अनुसार, पँद्रह साल पहले उनके गाँव में स्ट्रॉबेरी का उत्पादन जोर-शोर से शुरू हुआ था। इससे पहले हरवन और दारा इलाकों में स्ट्रॉबेरी उगाई जाती थी।


“स्ट्रॉबेरी की ख़ेती शुरू करने से पहले, हम चावल की खेती करते थे। अकेले मेरी 4.6 कनाल ज़मीन पर मैं लगभग 3 हज़ार किलोग्राम स्ट्रॉबेरी का उत्पादन करने में सक्षम हूँ।” मंज़ूर ने कहा।

वे कहते हैं,"शुरू में हमने सोचा था कि यह साल स्ट्रॉबेरी की ख़ेती के लिए बढ़िया होगा, लेकिन मार्च में हीटवेव के बाद लगातार बारिश से हमारी फसलों को काफी नुकसान हुआ है।"

गासू से स्ट्रॉबेरी को श्रीनगर की परिमपोरा मंडी में ले जाया जाता है, जहाँ से उन्हें कश्मीर की अन्य मंडियों में वितरित किया जाता है। मंज़ूर ने कहा, "पिछले साल, हमने कोल्ड स्टोरेज वैन की मदद से पंजाब, दिल्ली और जम्मू में स्ट्रॉबेरी भी भेजी थी।"

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ख़राब मौसम से प्रभावित हुई स्ट्रॉबेरी की फ़सल

लोटस के अनुसार, अप्रैल और मई में सर्दी और गर्मी के बीच संक्रमणकालीन अवधि के कारण तापमान धीरे-धीरे बढ़ता है और कभी-कभी 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है।

मौसम अधिकारी ने कहा, "मौसम की ये घटनाएँ कृषि के लिए ख़तरा पैदा करती हैं, जिससे फ़सलों और किसानों की आजीविका को नुकसान होता है।" उन्होंने कहा कि मौसम विभाग ने किसानों को ज़रूरी सावधानी बरतने की सलाह दी थी।

“हमने मौसम विभाग की चेतावनी पर ध्यान दिया है और बचने के उपाय किए हैं। हालाँकि, हमारे सभी प्रयासों के बाद भी, हमारी फ़सल को काफी नुक़सान हुआ है। " एक कनाल ज़मीन वाले स्ट्रॉबेरी किसान फारूक अहमद ने गाँव कनेक्शन को बताया।

यह सिर्फ अनियमित मौसम का पैटर्न नहीं है जिसके कारण स्ट्रॉबेरी किसानों को नुकसान हुआ है। किसानों की माने तो यह प्रशासनिक सहायता की कमी का भी नतीज़ा है।


“पिछले साल, मैंने प्रशासन से किसानों को अन्य राज्यों में भी स्ट्रॉबेरी पहुंचाने के लिए रेफ्रिजरेटेड वैन उपलब्ध कराने की अपील की थी। उन्होंने हमें पिछले साल कोल्ड स्टोरेज वैन मुहैया कराए थे, लेकिन हमें इस साल अभी तक वैन नहीं मिली हैं, और फलों की शेल्फ लाइफ सीमित है। " मंज़ूर चिंतित हैं।

उनके अनुसार, स्ट्रॉबेरी की ख़ेती का रकबा भी कम हुआ है। वे कहते हैं, “पिछले साल, गासू में 129 कनाल ज़मीन पर स्ट्रॉबेरी उगाई गई थी। इस साल इसे घटाकर सिर्फ 100 कनाल कर दिया गया है।"

“हम गाँव में 250 ग्राम स्ट्रॉबेरी चालीस रुपये से अधिक नहीं बेचते हैं। लेकिन, मैंने देखा है कि बाज़ार में ये 70 रुपये या इससे ज़्यादा में बिक रहे हैं। थोक में, हमारी स्ट्रॉबेरी 100 रुपये से 115 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच बिकती है। ” स्ट्रॉबेरी किसान ने कहा।

स्ट्रॉबेरी किसानों को समर्थन

गासू के स्ट्रॉबेरी किसानों ने उद्यानिकी विभाग से उन्हें ज़रूरी सहयोग देने की अपील की है।

ज़िला बागवानी अधिकारी इफ्तिकार अहमद ने देखा था इस साल गासू के बागों में स्ट्रॉबेरी का उत्पादन अधिक था, लेकिन बारिश ने निराशा का माहौल बना दिया।

बागवानी अधिकारी ने कहा, "किसानों के साथ हमारी चर्चा में, हमने पाया कि उनके बागों से औसत उत्पादन प्रति कनाल 500 से 700 किलोग्राम तक होता है, कुछ किसानों ने 1,000 किलोग्राम तक की फ़सल की भी सूचना दी है।"

उन्होंने कहा, "स्ट्रॉबेरी को नुकसान हुआ, क्योंकि बारिश से अत्यधिक नमी के कारण फंगल संक्रमण हो गया, जिसके चलते फ़सल को नुकसान हुआ।" उन्होंने कहा, "अगर उचित मल्चिंग लागू की गई होती, तो फ़सल के नुकसान को कम किया जा सकता था।"


इफ्तिकार अहमद के मुताबिक, कश्मीर में बागवानी विभाग किसानों की कई तरह से मदद करता है। वे कहते हैं ,"हमारा उद्देश्य किसानों को एक ही फ़सल पर निर्भर रहने की बजाय अपनी फसलों में विविधता लाने के लिए प्रेरित करना है।"

स्ट्रॉबेरी के अलावा, अन्य फलों की ख़ेती क्षेत्र को बढ़ाने के लिए बागवानी विभाग दो योजनाएँ लेकर आया है।

“पहली योजना संशोधित उच्च-घनत्व योजना है, जहाँ हम सेब, चेरी, खुबानी और अखरोट के 166 पौधे और प्रति कनाल दो लाख रुपये का बजट प्रदान करते हैं। यह योजना 50 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान करती है और इसमें ड्रिप सिंचाई प्रणाली और ओला नेटिंग जैसे घटक शामिल हैं, "इफ्तिखार अहमद ने कहा।

“दूसरी योजना मध्यम-घनत्व योजना है, जहाँ हम प्रति कनाल 47 सेब के पौधे उपलब्ध कराते हैं। इस योजना में, हम 80 प्रतिशत सब्सिडी की पेशकश करते हैं, और 150 रुपये प्रति पौधा किसानों के खातों में जमा किए जाते हैं। बाद में वे 80 रुपये की रियायती दर पर और पौधे खरीद सकते हैं।'

बागवानी विभाग के मुताबिक़ विभाग प्लम, चेरी और अखरोट के पौधे के लिए भी सब्सिडी उपलब्ध करता है।

पूरी दुनिया में स्ट्रॉबेरी की लगभग 600 से अधिक किस्में हैं, जो अपने रंग, स्वाद और आकार में एक दूसरे से अलग होती हैं। खेतों में उगाई जाने वाली स्ट्रॉबेरी के अलावा जंगली किस्म की स्ट्रॉबेरी का आकार बहुत छोटा होता है, लेकिन यह अधिक स्वादिष्ट होती हैं।

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