खरपतवार से निपटने में किसानों की मदद करेगा हर्बीसाइड कैलकुलेटर ऐप

खरपतवार से छुटकारा चाह रहे किसानों को अब और परेशान नहीं होना पड़ेगा, क्योंकि भारतीय अनुसंधान परिषद-खरपतवार अनुसंधान निदेशालय, ने खरपतवार से निपटने के लिए हर्बीसाइड्स कैलकुलेटर ऐप विकसित किया है।

Update: 2021-08-04 12:05 GMT

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के खरपतवार अनुसंधान निदेशालय ने इस हर्बीसाइड कैलकुलेटर ऐप को विकसित किया है। (Photo: Pixahive)

ज्यादातर किसान फसलों के साथ उगने वाले खरपतवार से परेशान रहते हैं, कई बार खरपतवार नाशी डालते हैं, लेकिन फिर भी इनसे छुटकारा नहीं मिलता। क्योंकि किसानों को पता ही नहीं होता कि कौन सी फसल में किस खरपतवारनाशी की कितनी मात्रा डालनी चाहिए। ऐसे किसानों का काम आसान बनाने के लिए वैज्ञानिकों ने हर्बीसाइड कैलकुलेटर ऐप विकसित है।

खरपतवार अनुसंधान निदेशालय, जबलपुर ने हर्बीसाइड्स कैलकुलेटर ऐप बनाया है, जिसके जरिए किसानों को हर बात की सटीक जानकारी मिलती है। खरपतवार अनुसंधान निदेशालय, के प्रधान वैज्ञानिक डॉ पीके सिंह हर्बीसाइड्स कैलकुलेटर ऐप के बारे में बताते हैं, "किसानों के सामने एक बड़ी समस्या होती है, कि खेत में जो हर्बीसाइड यानी खरपतवारनाशी डालना है वो कैसे कैल्कुलेट करें, मतलब कि कितनी मात्रा में डालें।"


वो आगे कहते हैं, "क्योंकि हर एक हर्बीसाइड की रिकमंडेशन रहती है कि कितने पर्शेंट की कितनी मात्रा में डालना है। अब किसी किसान के पास आधा एकड़ होगा तो किसी के पास एक एकड़ होगा तो किसी के पास दो एकड़ होगा। कई जगह पर बीघा होता है। ऐसे में किसानों के सामने परेशानी आती है कि खेत में कितनी दवा डालें और उसमें पानी कितनी मात्रा में मिलाना है और कौन सी दवा डालनी है।"

इन सारी समस्याओं को देखते हुए, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के खरपतवार अनुसंधान निदेशालय ने इस हर्बीसाइड कैलकुलेटर ऐप को विकसित किया है। यहां पर वैज्ञानिक किसानों को खरपतवार प्रबंधन की जानकारी देते हैं, पूरे देश में निदेशालय के 23 केंद्र हैं।

हर्बीसाइड ऐप कैसे काम करता है और किसान कैसे इसकी मदद ले सकते हैं। इस बारे में डॉ सिंह बताते हैं, "किसान इसे गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं। क्योंकि आजकल ज्यादातर किसान आजकल स्मार्ट फोन का प्रयोग करते हैं। डाउनलोड करने के बाद उसमें जाएंगे तो आप देखेंगे जैसे कि किसानों का सवाल होता है कि उन्हें रबी की फसल की जानकारी चाहिए। जब किसान उस पर जाएगा और रबी पर क्लिक करेगा तो देश भर में रबी की जितनी फसलें होती हैं सब आ जाएंगी।"


पीके सिंह आगे कहते हैं, "उसके बाद किसान जैसे गेहूं की जानकारी चाहता है तो गेहूं पर क्लिक करेगा तो उसमें कौन कौन से हर्बीसाइड डाल सकता है वो आ जाएंगे। इसके बाद किसान हर्बीसाइड पर क्लिक करेगा तो पूरी जानकारी आ जाएगी, जैसे कि मार्केट में हर हर्बीसाइड के कई पर्शेंट आते हैं तो हर्बीसाइड पर क्लिक करने के बाद अगर उसमें 30% का है तो 30 और 50% का है तो 50 डाल दें।"

"उसके बाद किसान अपने खेत का एरिया डाल दें कि कितनी एरिया में हर्बीसाइड डालना है। पूरी जानकारी भरने के बाद जैसे क्लिक करेगा पूरी जानकारी आ जाएगी कि कैसे और कितनी मात्रा में छिड़काव करना है कितने लीटर पानी डालना है, "उन्होंने कहा।

अभी तक यह ऐप अंग्रेजी में ही जानकारी देता है, लेकिन जल्द ही आईसीएआर-खरपतवार अनुसंधान निदेशालय, इसे अलग-अलग भाषाओं में लाने वाला है, जिससे देश का कोई भी किसान इसकी मदद ले सके।

खरपतवार की पहचान के लिए है वीड मैनेजर ऐप

हर्बीसाइड कैलकुलेटर ऐप की मदद से किसान हर्बीसाइड की मात्रा डाल सकता है। इसके साथ ही निदेशालय ने इसके पहले खरपतवार अनुसंधान निदेशालय ने एक और ऐप वीड मैनेजर भी विकसित किया है, जिसमें हर तरह के खरपतवार की जानकारी है। डॉ सिंह बताते हैं, "कौन-कौन से खरपतवार होते हैं, किस फसल में कौन से खरपतवार होते हैं। कुछ चौड़ी पत्ती के होते हैं, कुछ सकरी पत्ती के, जैसे कि कुछ खरपतवार मौसमी होते हैं, कुछ एक वर्षीय होते हैं और कुछ तो बहुवर्षीय होते हैं। जैसे कि कांस, दूब बहुवर्षीय होती है, गुंदला, नागरमोथा, मोथा वार्षिक होते हैं, और अकरी, जंगली प्याज, बथुआ मौसमी होते हैं।"

वीड मैनेजर की मदद से किसान हर एक खरपतवार की पहचान सकता है। साथ ही रसायनिक और यांत्रिक विधियों से इनके नियंत्रण के बारे में जानकारी दी गई है। किसानों के साथ ही स्टूडेंट्स, एनजीओ, वैज्ञानिक और कृषि विभाग के अधिकारी भी इससे जानकारी ले सकते हैं।


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