किसानों के सिर पर फिर मंडरा रही है आसमानी आफत, इस हफ्ते बारिश और ओले गिरने की आशंका

Update: 2017-03-10 09:59 GMT
बदले मौसम में गेहूं समेत कई फसलों को हो सकता है भारी नुकसान।

लखनऊ। किसानों के सिर पर फिर आफत मंडरा रही है। कृषि जानकारों के अनुसार ये हफ्ता किसानों पर भारी पड़ सकता है। तेज हवाएं और ओले और बारिश गेहूं समेत रबी सीजन की तमाम फसलों को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं।

रबी सीजन की फसलों के लिए आने वाले छह दिन काफी संवदेनशील है। इस दौरान प्रदेश के सभी अंचलों में जहां तेज हवाओं के साथ बरसात होने की संभावना है वहीं आले पड़ने की भी आशंका है। उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद की मौसम आधारित राज्य स्तरीय कृषि परामर्श समूह की बैठक के बाद गुरूवार को यह चेतावनी जारी की गई।

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इस बारे में जानकारी देते हुए उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक प्रो. राजेन्द्र कुमार ने बताया '' भारतीय मौसम विज्ञान विभाग से प्राप्त मौसम पूर्वानुमान और उपग्रहों से प्राप्त चित्रों के विशलेषण के आधार पर यह जानकारी मिली है। इस सप्ताह किसान किसी भी फसल की सिंचाई न करें और बरसात से होने वाली संभावित हानि से बचने के लिए तैयार फसल को काटकर सुरक्षित रख लें। ''

इस सप्ताह किसान किसी भी फसल की सिंचाई न करें और बरसात से होने वाली संभावित हानि से बचने के लिए तैयार फसल को काटकर सुरक्षित रख लें।
प्रो. राजेंद्र कुमार, महानिदेशक, यूपी कृषि अनुसंधान परिषद

उन्होंने बताया कि मौसम आधारित राज्य स्तरीय कृषि परामर्श समूह की बैठक में मौमम विज्ञान विभाग अमौसी लखनऊ के निदेशक, चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्विविद्यालय कानपुर के तिलहन वैज्ञानिक, नरेन्द्र देव कृषि विश्वविद्यालय फैजाबाद के मौसम वैज्ञानिक, दलहन वैज्ञानिक, भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक, कृषि, उद्यान, पशुपालन, मत्स्य, रेशम और दूसरे कृषि वैज्ञानिक उपस्थित थे।

इस बैठक में बताया गया कि सप्ताह के शुरूआती चार दिनों में 6 से लेकर 15 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से तेज हवाएं चलेंगी और बरसात भी होगी। दिन में अधिकतम और न्यूनतम तापमान में 2 से लेकर 3 डिग्री सेंटीग्रेड कम हरने की संभावना है। इसको देखेत हुए गेहूं किसानों को सलाह दी गई है कि गेहूं की खेत में किसान टाप ड्रेसिंग न करें। नमी का फायदा उठाकार गेहूं के पौधे में गेरूई, पत्ती धब्बा रोग बढ़ने की संभावना रहती है। ऐसे में इसके नियंत्रण के लिए प्रोपीकोनाजेाल 25 प्रतिशत ईसी की 500 मिली लीटर को 750 लीटर पानी में घोलकर आसमान साफ होने की स्थिति में छिड़काव करने का कहा गया है।

यूपी समेत कई राज्यों में गेहूं की फसल पकने को तैयार है।

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दलहनी फसलों के लिए भी यह सप्ताह बीमारियां बढ़ाने वाला है। कृषि वैज्ञानिकों ने बताया है कि इस सप्ताह चना और मसूर में फलीबेधक कीट और अर्धकुण्डीलकार का भी खतरा है। ऐसे में इसके नियंत्रण के लिए बैसिलस थूरिनजिएन्सिस यानि बीटी नामक 2 लीटर दवा को 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करना चाहिए। अरहर में भी फलीबेधक कीड़ा का प्रकोप बढ़ सकता है ऐसे में उससे बचाव के लिए फेनवेलरेट 20 ईसी नामक दवा की 750 मिली लीटर को 700 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करना चाहिए। तिलहनी फसलों के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने सलाह दी है कि यदि राई और सरसों की फसल तैयार हो गई है तो किसान बिना देरी किए उसकी कटाई करके सुरक्षित स्थान पर ले जाकर रख लें।

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