टमाटर की खेती: बढ़िया उत्पादन के लिए करें इन उन्नत किस्मों की खेती

अगर आप भी टमाटर की खेती करना चाहते हैं तो शुरू से ध्यान रखना होगा, क्योंकि खेती में सही किस्म का चुनाव सबसे जरूरी होता है, जिससे किसान अच्छा उत्पादन करके बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं।

Update: 2021-09-08 08:33 GMT

टमाटर की खेती साल में तीन बार मई-जून, सितंबर-अक्टूबर और जनवरी-फरवरी में की जाती है। सभी फोटो: पिक्साबे

टमाटर एक ऐसी फसल है जिसकी मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है, वैसे तो टमाटर की खेती साल भर की जाती है, लेकिन यह महीना टमाटर की खेती के लिए बिल्कुल सही होता है। इसलिए इस समय कुछ बातों का ध्यान रखकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

टमाटर की खेती से किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कई सारी नई किस्में विकसित की गईं हैं। इसलिए खेती में सबसे जरूरी होता है कि आप कौन किस्म की खेती कर रहे हैं, क्योंकि हर एक किस्म की अपनी अलग-अलग विशेषताएं होती हैं।

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर), वाराणसी ने टमाटर की कई सारी किस्में विकसित की हैं। संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ नागेंद्र राय बताते हैं, "टमाटर की खेती में सबसे जरूरी होता है, सही समय में खेती करना और सही किस्मों का चुनाव करना। देश के अलग-अलग हिस्सों के हिसाब से किस्में भी विकसित की जाती हैं, कि कौन सी किस्म कहां पर बढ़िया उत्पादन देगी। इसलिए हमेशा टमाटर की किस्मों का चुनाव करते वक्त यह जरूर ध्यान दें।"

टमाटर की खेती साल में तीन बार मई-जून, सितंबर-अक्टूबर और जनवरी-फरवरी में की जाती है। सितंबर-अक्टूबर की फसल दिसंबर-जनवरी तक तैयार हो जाती है।


टमाटर की किस्में

देश भर के अलग-अलग अनुसंधान संस्थान और कृषि विश्वविद्यालयों ने टमाटर की किस्में विकसित की हैं। लेकिन आज भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित उन्नत किस्मों के बारे में बता रहे हैं।

काशी विशेष

यह किस्म टोबैको लीफ कर्ल वायरस के लिए प्रतिरोधी होती है। इसके मजबूत व गहरे हरे रंग के पौधे होते हैं और फल लाल, गोलाकार, मध्यम आकार के लगभग 80 ग्राम वजन के होते हैं। यह किस्म 70-75 दिनों में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 400 से 450 क्विंटल उत्पादन मिलता है। काशी विशेष खास तौर पर जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल पंजाब, यूपी, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों के लिए विकसित की गई है।

काशी अमृत

टमाटर की इस किस्म में गोल और लाल रंग के होते हैं और इसका औसत वजन 108 ग्राम होता है। यह भी टोबैको लीफ कर्ल वायरस के लिए प्रतिरोधी होती है। यह लगभग 620 कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन देती है। यह खास तौर पर यूपी, बिहार और झारखंड के लिए विकसित की गई है।

काशी हेमंत

इस किस्म के पौधे मजबूत और फल गोल आकर्षक लाल रंग के होते हैं। इसका वजन लगभग 80-85 ग्राम होता है। उत्पादन 400-420 कुंटल प्रति हेक्टेयर मिलता है। यह खास तौर पर छत्तीसगढ़, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश के लिए विकसित की गई है।


काशी शरद

इस किस्म के पौधों की पत्तियां चौड़ी और फल अंडाकार आकर्षक लाल रंग के होते हैं। इस किस्म की सबसे खास बात होती है, यह लंबे समय तक खराब नहीं होता है। फल का वजन 90-95 ग्राम और उत्पादन 400 से 500 कुंटल प्रति हेक्टेयर मिलता है। काशी शरद किस्म को जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों के लिए विकसित किया गया है।

काशी अनुपमा

टमाटर की काशी अनुपमा किस्म में फल लाल रंग के बड़े, चपटे गोल आकार के होते हैं। यह रोपाई के 75-80 दिनों में तैयार हो जाती है और उपज लगभग 500-600 कुंटल प्रति हेक्टेयर मिलती है। इसे राजस्थान, गुजरात और हरियाणा जैसे राज्यों के लिए विकसित किया गया है।

काशी अभिमानी

इसके फल गहरे लाल रंग के होते हैं, फलों का औसत वजन 75-95 ग्राम होता है और यहां लंबे समय तक नहीं खराब होते हैं, इसे लंबी दूरी तक भी भेज सकते हैं। यह लीफ कर्ल वायरस रोग के लिए प्रतिरोधी होती है। इस किस्म की खेती जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल, पंजाब, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में की जा सकती है।

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