छठ पर्व पर मालिनी अवस्थी सुना रहीं हैं ये लोकगीत

Update: 2017-10-24 12:02 GMT
लोकगायिका मालिनी अवस्थी।

लखनऊ। श्रद्धा, आस्था, समर्पण, शक्ति और सेवा भाव से जुड़ा चार दिवसीय पर्व छठ पूजा मंगलवार से नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी की तिथि तक भगवान सूर्यदेव की अटल आस्था का पर्व छठ पूजा मनाया जाता है।

इस पर्व पर लोकगायिका मालिनी अवस्थी ने कुछ पंक्तियां लिखी हैं। छठमहापर्व आते ही मन जैसे कहीं और चला जाता है, घर जैसे पुकारने लगता है और अपने आत्मीय स्वजन पर्व के उत्साह में भीगे से, छठ के पारंपरिक गीतों की श्रुतियां मानो पर्व को ही साक्षात सजीव कर देती हैं। लेकिन इससे अलग एक और भाव है छठ पर्व का, वह है प्रेम और श्रृंगार का!

इस छठ, एक पुरानी चीज़ सुना रही हूं जिसकी धुन तैयार की थी। उस्ताद राहत अली ख़ान साहेब ने। उनसे सन् 84 में गोरखपुर में सीखा गीत इस छठ आपके लिये लेकर आई हूं। अब्दुलरहमान गेंहुआसागरी जी की रचना का संगीत संयोजन किया है होनहार सचिन अमित ने। असाधारण कंपोजर थे राहत साहब! अद्वितीय!

सुनिये और बताइये,

छठ का यह भी एक अलग रंग है।

सुन गुइयाँ हो।।

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