अपने उपन्यास को टेम्स नदी में डुबोने जा रहे थे मालगुडी डेज़ लिखने वाले आरके नारायण
लखनऊ। आपने बचपन में दूरदर्शन में प्रसारित होने वाला सीरियल मालगुडी डेज जरूर देखा होगा। नहीं भी देखा तो उसके बारे में सुना जरूर होगा। यह भारतीय अंग्रेजी साहित्य के बेहतरीन उपन्यासकारों में गिने जाने वाले नारायण द्वारा रचित उपन्यास पर आधारित था जो दक्षिण भारत के एक काल्पनिक शहर मालगुडी को आधार बनाकर ज्यादातर रचनाएं लिखते थे। मालगुडी डेज ने ही आरके नारायण को भी घर-घर प्रसिद्ध करवाया था।
नारायण ने जितनी खूबसूरती से एक काल्पनिक शहर मालगुड़ी को बसाया था कि जिसने उसे पढ़ा वह उस दुनिया में खो गया। रेलवे स्टेशन से कुछ दूरी बसा एक कस्बा भारतीय समाज में आ रहे बदलावों का आइना सा बन जाता है। सन 1986 में जब दूरदर्शन पर 'मालगुडी डेज' नामक धारावाहिक का प्रसारण शुरू हुआ। 'स्वामी एंड फ्रेंड्स' की कहानी दस बरस के स्वामीनाथन (स्वामी) के इर्दगिर्द घूमती है। स्वामी के किरदार को स्कूल जाना ज़रा भी पसंद न था, पसंद था तो अपने दोस्तों के साथ मालगुड़ी में घूमना-फिरना।
आरके नारायण अंग्रेजी लेखक ग्राहम ग्रीन के प्रिय लेखकों में से थे। हालांकि यह सबकुछ आरके नारायण के लिए इतना आसान नहीं था। इसके पीछे एक रोचक कहानी है। इसके अनुसार, नारायण ने उपन्यास लिखकर अपने एक दोस्त के पास इंग्लैंड भेजा। उनके दोस्त ने इस उपन्यास की पांडुलिपी कई प्रकाशकों को भेजी मगर किसी को वह पसंद नहीं आई। आखिरकार तंग आकर नारायण ने भारी मन से अपने दोस्त से कहा कि वह इस पांडुलिपी को टेम्स नदी में डुबो दे। ऐसा करने की बजाय उनके दोस्त ने यह पांडुलिपी ग्राहम ग्रीन तक पहुंचा दी। जब ग्राहम ग्रीन ने इस उपन्यास को पढ़ा तो इसकी शैली पर मुग्ध हो गए। इसके बाद यह उपन्यास न सिर्फ प्रकाशित हुआ बल्कि देश-विदेश में बेहद लोकप्रिय भी हुआ।