लखनऊ। एक ऐसे फिल्म निर्माता निर्देशक जो बीसवीं सदी के महान फ़िल्मी हस्तियों में से एक थे। आज उनके जन्म दिन पर बताते है आपको उनके फ़िल्मी सफ़र के बारे में। हम बात कर रहे हैं निर्देशक सत्यजीत रे के बारे में। सत्यजीत निर्देशन के साथ-साथ लेखक और साहित्यकार के रूप में भी मशहूर थे।सत्यजित रे ने अपने जीवन में 37 फ़िल्मों का निर्देशन किया।
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आपको बता दें इनकी पहली फिल्म पाथेर पांचाली के लिए कान फ़िल्मोत्सव में 'सर्वोत्तम मानवीय प्रलेख' के अवार्ड से नवाजा गया। विश्व में भारतीय फिल्मों को पहचान दिलाने वाले सत्यजीत रे को भारत रत्न (1992) के अतिरिक्त पद्म श्री (1958), पद्म भूषण (1965), पद्म विभूषण (1976) और रेमन मैग्सेसे पुरस्कार (1967) से सम्मानित किया गया। 1947 में रे ने कुछ लोगों के साथ मिलकर कलकत्ता फ़िल्म सोसायटी की स्थापना की।
उन्होंने भारतीय सिनेमा को एक पहचान देने के लिए कई लेख लिखे। इतना ही नहीं उन्होंने फिल्म सोसायटी के लिए सिने प्रेमियों को भी एकत्रित किया जिसका नतीजा ये निकला उनमें से कुछ आगे चलकर प्रमुख फिल निर्माता बन गये। अपनी पहली फिल्म पाथेर पांचाली की सफलता के बाद सत्यजीत रे ने कहा था उन्होंने फिल्म निर्माण फ़िल्में देखकर सीखा और कुछ अनुभव काम के दौरान सीखे। लम्बी बीमारी के चलते 23 अप्रैल 1992 को ये महान फिल्म निर्माता हम सबको हमेशा के लिए अलविदा कह गया।
सत्यजीत रे की प्रमुख फ़िल्में
- पाथेर पांचाली(1955)
- अपराजितो(1956)
- पारस पत्थर(1958)
- जलसा घर(1958)
- अपुर संसार(1959)
- देवी(1960)
- शतरंज के खिलाड़ी(1977)
- जय बाबा फेलूनाथ(1978)
- सुकुमार राय(1987)
- गणशत्रु(1989)
- गणशत्रु(1991)
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