थियेटर के शौक ने पहुंचा दिया बॉलीवुड तक: आलोक पांडे

Update: 2017-10-18 17:53 GMT
आलोक पांडे।

लखनऊ। कहते हैं अगर इरादे मजबूत हैं तो मंजिल खुद ब खुद मिल ही जाती है। आज हम आपको ऐसे ही एक शख्स से मिलवाते हैं जो अपनी मेहनत के दम पर धीरे-धीरे अपनी मंजिल की ओर बढ़ रहे हैं। इन्हें चाहे धोनी के 'चिट्टू' कह लीजिए या लखनऊ सेंट्रल के 'बंटी'। इन्होंने इन सभी फिल्मों में बतौर सहायक अभिनेता किरदार निभाया है। ये हैं आलोक पांडे। आलोक उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के छेाटे से गाँव ददऊं के रहने वाले है।

गाँव कनेक्शन ने जब आलोक से उनके गाँव से बॉलिवुड तक के सफर के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि मुश्किलें तो सामने आईं लेकिन आप अगर किसी भी चीज को लगन से चाहो तो उस ओर कदम खुद ब खुद बढ़ते ही चले जाते हैं। मेरा ऐक्टर बनने का कोई इरादा नहीं था लेकिन ऐक्टिंग का शौक था और हमारे शहर शाहजहांपुर में थियेटर अच्छा होता है। जिदगी यूं ही चलती रही मैनें ग्रेजुएशन में एक प्ले देखा तो मुझे महसूस हूआ कि ये जगह है जहां मुझे जाना चाहिये। गाँव के मेरे दो दोस्तों ने ही मुझे थियेटर के लिये प्रेरित किया और 2007 में थियेटर में मेरी शुरूआत हो गई।

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इस फील्ड में दिलचस्पी बढ़ती देख आलोक ने राजधानी लखनऊ स्थित भारतेंदु नाट्य एकेडमी में एडमिशन लिया। यहां से उनकी ख्वाहिशों को पंख लगे। कोर्स के दौरान उन्होंने कई नाटकों में हिस्सा लिया। कैमरे की तकनीकि बारिकियों को समझने के लिए वह कोलकाता के सत्यजीत रे इंस्टिट्यूट चले गए। यहां कैमरे के साथ उन्होंने एक्टिंग को भी तराशा। इसके बाद उन्होंने मुंबई का रुख किया।

आलोक ने बताया कि शुरूआत में परिवार मेरे सपोर्ट में नहीं था लेकिन जब मेरी फैमली ने देखा कि मै मेहनत कर रहा हूं तो उन्होंने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया और आज मैं जो भी हूं आपने परिवार की वजह से ही हूं। उनकी इस मेहनत में परिवार ने भी बहुत सहयोग किया। आलोक से उनके अगले प्रोजेक्ट के बारे में पूछने पर बताया कि एक बड़े प्रोडेक्शन हाउस से बातचीत चल रही है जल्द ही कुछ अच्छा सुनने को मिलेगा।

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जब उनसे पूछा गया कि आगे आप किस तरह का रोल या किस तरह की फिल्में करना चाहते हैं तो उन्होंने बताया कि मैं फिल्म करना चाहता हूं मसान जैसी या फिर न्यूटन जैसी या पान सिंह तोमर। इसमें मैं अपने आप को फिट पाता हूं। बाकी जो भी रोल मिलेगा वो पूरी लगन के साथ करूंगा।

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