लता मंगेशकर के लिए आनंद बख्शी ने 1973 में लिखी थी ये कविता

Update: 2018-09-27 04:43 GMT
लता मंगेशकर

स्वर कोकिला के नाम से मशहूर लता मंगेशकर की ज़िंदगी से जुड़े कई किस्से हैं जिनके बारे में आपने पढ़ा होगा, सुना होगा लेकिन यहां हम आपके लिए एक कविता लेकर आए हैं। लता मंगेशकर ने अपनी ज़िंदगी में सैकड़ों गाने गए जो अलग - अलग अभिनेत्रियों और अभिनेताओं की तारीफ में लिखे गए थे लेकिन ऐसी कविता है जो उनके लिए लिखी गई, जिसमें लता को बुना गया, लता को रचा गया, जो कविता बताती है कि लता क्या हैं, कैसी हैं। ये कविता गीतकार आनंद बख्शी ने 1973 में लिखी थी लेकिन उन्होंने लता को ये कविता 2001 में भेंट की, जब लता मंगेशकर को पद्म विभूषण से नवाज़ा गया था।

पढ़िए ये कविता -

ये गुलशन में बाद-ए-सबा गा रही है

के पर्वत पे काली घटा गा रही है

ये झरनों ने पैदा किया है तरन्नुम

कि नदियां कोई गीत सा गा रही हैं

ये माहिवाल को याद करती है सोहनी

कि मीरा भजन श्याम का गा रही हैं

मुझे जानें क्या क्या गुमां हो रहे हैं

नहीं और कोई लता गा रही हैं

यूं ही काश गाती रहें ये हमेशा

दुआ आज खुद ये दुआ गा रही है


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