पौधों को सूखने से बचाने के लिए ऑनलाइन मॉनिटरिंग

Update: 2016-04-03 05:30 GMT
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लखनऊ/बाराबंकी। उत्तर प्रदेश कैबिनेट की मंजूरी के बाद एक ही दिन में छह करोड़ पौधे रोप कर हर बार की तरह इन पौधों को लगा कर सूखने के लिए छोड़ नहीं दिया जाएगा। इन पौधों का मानचित्र तैयार करके ऑनलाइन मॉनिटरिंग की जाएगी।

बाराबंकी के हैदरगढ़ तहसील के बेनीगंज निवासी पूर्व ग्राम प्रधान राजेश वर्मा के गाँव के बाहर जंगल में पिछली बार कई पेड़ लगाए गए थे। “ज्यादातर तो सूख गए, इक्का-दुक्का जंगली बबूल के पेड़ बचे हुए हैं।” राजेश वर्मा बताते हैं। 

“चार करोड़ गड्ढे खोदे जा चुके हैं। नर्सरी के लिए 9.6 करोड़ पौधे तैयार हो चुके हैं, बाकी तैयारी हो रही है। इन पेड़ों की मानीटरिंग करने के लिए अर्न्तराष्ट्रीय संस्थाओं का चयन किया गया है। जहां पेड़ लगाए जाने हैं, वहां का मानचित्र तैयार किया जाएगा। इस मानचित्र को ऑनलाइन किया जाएगा।” उमेन्द्र शर्मा, प्रमुख वन संरक्षक, उत्तर प्रदेश ने बताया।

मानसून आने से पहले इन छह करोड़ पौधों को रोपा जाना है। केन्द्र सरकार ने राज्यों को दिए जाने वाले बजट को सीधे वन क्षेत्र से जोड़ दिया है। जिस राज्य में वन क्षेत्र जितना अधिक किया जाएगा, उस राज्य को उतना अधिक पैसा मिलेगा।  

यूपी की जिला वन अधिकारी श्रृद्धा मिश्रा बताती हैं, “पेड़ लगाने के लिए 31 मार्च तक का छह करोड़ गड्ढे खोदने का लक्ष्य पूरा किया जाना है, इसके तहत लखनऊ में लगभग 10 लाख गड्ढे खोदे जा चुके हैं। पिछले साल कितने पेड़ लगाए गए उसकी जानकारी हमे नहीं। काम पूरा होने की रिपोर्ट सात अप्रैल को दी जायेगी।”

लखनऊ के बख्शी का तालाब के क्षेत्रीय वन अधिकारी एसपी सिंह बताते हैं, “जुलाई में पौधों की रोपाई होने के बाद अनुरक्षण कार्य जुलाई से मार्च तक तक होगा। जिसमें पांच बार सिंचाई तथा चार बार निराई गुड़ाई की जायेगी।”

वहीं, बेनीगंज निवासी भुय्यादीन रावत कहते हैं, “यह ऊसर का जंगल है, देखरेख और पानी के अभाव में पहले वाले जो पेड़ सरकारी लगवाए गए थे, वो पेड़ सूख चुके हैं। सैकड़ों पेड़ लगवाए गए थे, देख-रेख के अभाव में मात्र 15-20 ही बचे हैं। जो बड़े ही नहीं हो पा रहे।”

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