सितम्बर की हवा में गजब की गहमा गहमी थी, एक किस्म की कसमसाहट समझिये।
सड़क नागिन की तरह बल खा रही थी जिसकी एक तरफ ऊँची पहाड़िया थी और दूसरी तरफ इतनी गहरी खाई की कोई गिरे तो हड्डियों का सूरमा बन जाए। उसी सड़क पर गहरे रंगो के ट्रकों की कतार आ रही थी, भारतीय सेना के ट्रकों की कतार|
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